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Emotional story in Hindi- आरती
आरती! एक ऐसा सच जिसको में कभी नही भूल सकती। एक ऐसा सवाल जिसका जवाब मेरे पास नहीं है। आज अलमारी में कुछ सामान ढूंढते हुए जब आरती की तस्वीर मेरे हाथ में आई, तब मेरे दिमाग में पुरानी सभी यादें ताजा हो गई। यादों के साथ ही मेरी आंखे भी नम हो गई।
आरती की उम्र उस समय दस ग्यारह वर्ष की होगी जब वो अपनी चाची के साथ हमारी गली में अक्सर काम पर आया करती थी। आरती की चाची हमारी गली के कई घरों में बर्तन धोने, झाड़ू–पोचे का काम करती थी। मैंने आरती को पहली बार देखा तो उसकी चाची से पूछा- ‘ये बच्ची कौन है?’
उसने कहा, ‘दीदी मेरी भतीजी है, गांव से आई है।’
मैंने पूछा- ‘इतनी छोटी बच्ची को काम के लिए साथ क्यो लाती हो? अभी इसकी उम्र पढ़ने लिखने की है।’
तो उसने कहा, ‘अरे दीदी, पढ लिख कर क्या करेगी ? कुछ काम सीख जाएगी तो अपना पेट तो भर पाएगी। इसका बाप दारू के कारण चल बसा , इसकी मां भी इसे छोड़कर भाग गई। अब इसकी सारी जिम्मेदारी मुझ पर आ गई है। ‘
एक दिन जब आरती अपनी चाची के साथ हमारी गली में आई तो मैं उसे अपने घर ले आई। मेरा बेटा उसके साथ खेलकर बहुत खुश हुआ।अब अक्सर में उसको अपने घर पर ले आती। वो मुझसे बहुत सारी बातें किया करती थी। उसे पढ़ना पसंद था। मैंने उससे कहा, ‘आरती मैं तुम्हारा स्कूल में एडमिशन करा देती हूं। मैं तुम्हारी फीस भर दूंगी और पढ़ने में मदद भी कर दूंगी। तुम मन लगा कर पढ़ाई करना’
आरती पढ़ाई की बात सुन कर खुश हो गई।
अगले दिन जब वो फिर से आई तब उसमे मुझसे कहा ‘ आंटी चाची ने मना किया है पढ़ने के लिए।’ मैने उसकी चाची से इसका कारण पूछा।
उसकी चाची ने कहा, ‘दीदी मैं तो अपने बच्चों को ही ठीक से नहीं पाल पाती और अब यह और आ गई है। मैं तो जल्द से जल्द इसकी शादी करके अपनी जिम्मेदारी पूरी करना चाहती हूं।’
मैंने उसे जोर से डांटा, ‘ शर्म करो, इतनी छोटी बच्ची की शादी करोगी। अभी उसकी शादी की उम्र नही है। अभी तो उसको पढ़ने लिखने दो। अपनी उसको अपना बचपन जीने दो। ‘
मैंने उसे समझाने की बहुत कोशिश की पर उसने मेरी एक ना सुनी। उसने आरती को मेरे घर आने से भी मना कर दिया। बहुत दिनों तक मेने आरती को देखा तक नहीं। फिर एक दिन आरती आई और बोली, “आंटी मैं जा रही हूं। मेरी शादी होने वाली है। आप मुझे अपना एक फोटो दे दो, मुझे आपकी बहुत याद आएगी।”
मैंने फोटो और कुछ पैसे देकर आरती को विदा किया। मेने भी उसकी एक फोटो उससे ले ली थी ताकि उसकी कुछ यादें हमेशा मेरे पास रहे। उसकी चाची जब भी मुझे दिखती मैं उससे आरती का हाल चाल पूछती। वो बताती रहती, ‘दीदी अब तो वह बहुत खुश है, बहुत अच्छा पति मिला हैं उसे। बहुत अच्छी जोड़ी है दोनो की। ‘
मैंने कहा कि जब भी आरती यहां आए उसे मुझसे मिलाने जरूर लाना। फिर शायद उसकी चाची को कहीं और काम मिल गया। पिछले दिनों वो मुझसे बाजार में टकरा गई। आदत के मुताबिक मैंने फिर आरती का हालचाल पूछा। उसने बड़े सामान्य तरीके से जवाब दिया, ‘दीदी उसे मरे तो पांच महीने हो गए। पता नही ईश्वर को क्या मंजूर था। ‘
यह सुनकर मैं अवाक रह गई। मैंने खुद को सम्हालते हुए पूछा, ‘यह सब कैसे हुआ? क्या हुआ था उसे?’
उसने कहा, ‘अरे दीदी वो मां बनने वाली थी। उसका बच्चा पेट में ही मर गया। डॉक्टर के ले गए तब तक जहर पूरे शरीर में फैल गया। फिर उसे बचा ना सके। ‘
मुझे समझ ही नहीं आया कि मैं उससे क्या कहूं। मैं खुद को सम्हालते हुए घर आई और बैठकर सोचती रही। इतनी कम उम्र में शादी- बच्चा! यही सब उसकी मौत की वजह हैं या फिर उसकी मां जो उसे छोड़कर चली गई थी। या उसकी चाची जिसने जिम्मेदारी पूरी करने के चक्कर में उसे मौत के मुंह में डाल दिया या फिर मैं जो उसके लिए एक मजबूत आवाज नहीं बन पाई। पता नहीं कौन? आरती यह मेरे लिए एक सवाल था जिसका जवाब आज तक मेरे पास नहीं है।