Hindi Story. Emotional Story in Hindi. हिंदी कहानी. ईमोशनल स्टोरी इन हिन्दी। Emotional Social Hindi story.
ईमोशनल हिंदी कहानी- निकिता की नई जिंदगी।
निकिता आज हाथ मे गिफ्ट लिए सुबह-सुबह मेरे सामने खड़ी थी। उसे देखते ही मेरी आंखों में चमक आ गई। मैंने उसे गले लगाते हुए कहा, ‘कहां थी इतने दिनों से? मैं कितना याद कर रही थी तुम्हें। कितनी कोशिस की तुम्हे ढूंढने की पर तुम्हारा पता तक नहीं मिला’
उसने मुस्कुराते हुए मेरे हाथों में गिफ्ट रख दिया और बोली ‘दीदी यह आपकी गुरु दक्षिणा।’
मैंने हंसते हुए कहा, ‘क्या मैं तुम्हारी गुरु हूं!’
वह बोली, ‘क्यों नहीं दीदी, आप ने ही तो मुझे जिंदगी और अशिक्षा, दोनों के गहरे अंधेरे से बाहर निकाला। तो आप ही मेरी गुरु हुई ना।’
उसका जवाब सुनकर उसका अतीत मेरी आंखों के सामने आ गया। मेरे घर पर वह खाना बनाने का काम करने आई थी ।उसकी बातें और खाना दोनो में बहुत मिठास होता था। सभी उसके हाथ से बने खाने की प्रशंसा करते थे। सभी उसके व्यवहार से बहुत खुश थे। पर मुझे अक्सर उसकी आंखों में एक उदासी-सी नजर आती थी। एक दिन वो मुझे कुछ उदास दिखी। उसे परेशान देखकर मैंने पूछ ही लिया। ‘अगर तुम चाहो तो मुझे अपने दिल की बात बता सकती हो। ‘ और मेरे इतना कहते ही उसके सब्र का बांध टूट गया। उसकी आंखो से आंसू आने लगे। उसने रोते-रोते बताया कि वह मां नहीं बन पाई, इसलिए उसके पति ने दूसरी शादी कर ली है और उसको घर से निकाल दिया है।अब वह अकेले अपना जीवनयापन करने के लिए खाना बनाने का काम कर रही है। परंतु फिर भी पति बार-बार आकर उसे मानसिक और शारीरिक यातना देता रहता है।
मैंने आश्चर्य से कहा, ‘इतनी बड़ी बात और तुमने आज तक उसके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया! तुम पुलिस के पास भी नहीं गई कभी मदद के लिए?’
उसने बताया, ‘मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूं, नहीं जानती हूं कि मुझे क्या करना चाहिए। मेरे मां-बाप भी अब जिंदा नही। में अकेली क्या कर सकती हूं ‘
मैंने उसे मदद का आश्वासन दिया। एक अच्छे वकील से मिलवाया और उसे इस अंधकारमय जिंदगी से बाहर निकाला। इसके बाद उसने पढ़ने की इच्छा जताई तो समय निकालकर मैंने उसे पढ़ाया भी। वह बहुत मेहनती लड़की थी। जल्दी ही उसने पढ़ना-लिखना सीख लिया और खिलौने और गिफ्ट का एक छोटा-सा व्यवसाय भी शुरू कर लिया।
फिर एक दिन उसके भाई का फोन आया और वह मेरे यहां से काम छोड़कर चली गई। उसके बाद मेरी उससे कोई बात नहीं हुई। आज उसके इस तरह आने से मेरा मन बहुत खुश हो गया था। तभी उसने मुझे अतीत से खींचकर निकाला और खुश होकर बताने लगी कि किस तरह से उसकी छोटी सी दुकान अब बहुत बड़ी दुकान हो गयी है।
मेरे द्वारा दी गई शिक्षा उसके कितने काम आई। इसलिए आज उसे शिक्षक दिवस के मौके पर मेरी याद आई और वह मुझे मिलने चली आई।
मैंने हंसते हुए कहा, ‘इस गुरु दक्षिणा से काम नहीं चलेगा, आज तो अपने हाथों का बना स्वादिष्ट खाना खिलाना पड़ेगा।’ और उसने भी हंसते हुए कहा, ‘क्यों नहीं गुरुजी, आज आपका मनपसंद खाना बना कर खिलाउगी’ अब इस माहौल में शिक्षा का नया उजाला था।