देश भक्ति कहानिया. देश भक्ति पर छोटी कहानिया। Desh Bhakti Short Stories in Hindi. Desh Bhakti Kahaniya .Patriotic Short Stories in Hindi.
देश भक्ति कहानी- झंडा।
माँ मेरे सभी दोस्त सिग्नल पर झंडे बेच रहे है। में भी अब कुछ दिन झंडे बेचूगा। माल खरीदने के लिए कुछ पैसे दे दो। अब कुछ दिन तक पैन और फूल नहीं बेचूंगा। अभी झंडे का सीजन है।
ठीक है बेटा। यह ले पैसे। इससे झंडे खरीद ला। झंडे एक ठेले में रख लेना और बारिश से बचाना। बारिश में भीग गया तो झंडे खराब हो जायेगे।
सोनू नोट और थैला लेकर चला गया। लाल बत्ती पर जैसे ही गाड़ियां रुकी, सब बच्चे जान की परवाह किए बिना सामान बेचने दौड़ पड़ते हैं।
सोनू ने भी एक कर में बैठी मैडम से पूछा। मैम साहब झंडा ले लो। उन्होंने मना कर दिया। पीछे बैठी लड़की ने कहा ले लो न मम्मी मुझे कुछ झंडे चाहिए। अपने दोस्तों को दूंगी और फोटो खिचवाऊंगी। महिला ने अनमने मन से पर्स से पैसे निकाले और फिर सोनू की हथेली पर रख दिए।
सोनू ने 10 झंडे उस मैडम को दिए और दूसरी कार की तरफ झंडे बेचने के लिए चला गया। सोनू ने आज काफी झंडे बेच दिए थे। आज कमाई अच्छी हुई थी। मां ने खाने में चावल के साथ दाल भी बनाई थी। हर चीज का सीजन चलता है। झंडे खूब बिक रहे थे।
16 अगस्त की सुबह को आंटी की गाड़ी भीगी सड़क पर दौड़ती जा रही थी। सड़क के दोनों ओर कूड़े के ढेर में झंडे पड़े थे। झाडू वाली हाथ से भीगे झंडे हटा एक तरफ कर रही थी, उसको लोगों की अज्ञानता पर तरस आ रहा था।
देश भक्ति कहानी- स्वदेशी ।
बहुत दिनों से बेटा नया खिलौना लेने की जिद्द कर रहा था। आज समय मिला तो उसे खिलौने दिलाने ले गई। खिलौने की दुकान पर भारी भीड़ लगी थी। हम कोने में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करने लगे। तभी मेरी नजर एक छोटे बच्चे पर गई। वह अपने पापा के साथ खिलौना लेने आया हुआ था। उसके पापा से उसे एक दुकान से आर्मी सेट खरीद कर दिया था। बच्चा खिलौना हाथ में लेकर अपने पापा को उस सेट में कई कमियां बता रहा था। उसके पापा ने गुस्से से दुकानदार को वो सेट दिखाते हुए कहा, ‘यह क्या दे दिया, इसमें कितनी कमियां हैं। यह खिलौना ठीक नहीं है। इसके बदले दूसरा खिलौना दो।’
दुकानदार ने झट से सेट वापस लेते हुए कहा, ‘सॉरी साहब गलती से यह इंडिया में बना हुआ सेट आपके पास आ गया। यहां अभी नए-नए खिलौने बनने लगे हैं ना! इसलिए परफेक्ट फिनिशिंग नहीं है। में अभी आपको चाइना वाला सेट निकाल कर देता हूं।’
पापा सेट की प्रतीक्षा कर ही रहे थे। पर बच्चा वही पुराना सेट उठाकर चुपचाप चल दिया।
पापा ने पूछा, ‘क्या हुआ रुको? दुकानदार चेंज कर रहा है ना।
‘बच्चा बोला, ‘नहीं पापा यही परफेक्ट है। मेरे देश की आर्मी भी, और मेरे देश का बना आर्मी का सेट भी।’
उस छोटे से बच्चे के जवाब से उसके पापा का ही नहीं मेरा और वहां खड़े हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया।
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