अकबर बीरबल की कहानी – ईश्वरअच्छा ही करते हैं।
Akbar Birbal Story in Hindi. Akbar Birbal ki Kahani
एक बार की बात है अकबर अपने कुछ मंत्रियों और बीरबल के साथ जंगल में सेर कर रहे थे। अचानक वहां तेज हवा चलने लगी। तेज हवा के कारण आम के पेड़ से एक कच्चा आम एक मंत्री के सिर पर गिरा। आम सिर में गिरने से उसके सिर में चोट लग गई। मंत्री दर्द से चिल्ला उठा, “हे भगवान मेरा ही सर मिला था फोड़ने के लिए।”
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इस पर बीरबल कहते है , ” ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है, कभी-कभी हमें ऐसा लगता है कि ईश्वर हम पर कृपादृष्टि नहीं रखता, लेकिन ऐसा होता नहीं। कभी-कभी तो भगवान के द्वारा दिए गए वरदान को भी लोग शाप समझने की भूल कर बैठते हैं। वह हमको थोड़ी पीड़ा इसलिए देता है ताकि बड़ी पीड़ा आने पर हम उससे बच सकें। ईश्वर हमारे लिए सदैव अच्छा ही करते हैं।” मंत्री को बीरबल की यह बात पसंद नहीं आई। राजा अकबर भी बीरबल की बातें ध्यान से सुन रहे थे। थोड़ी देर बाद सभी राजमहल पुनः लौट आए।
कुछ दिनों बाद अकबर पुनः अपने उन्हीं मंत्रियों और बीरबल के साथ जंगल में शिकार करने के लिए गया। शिकार करते समय मयान से तलवार निकलते हुए एक मंत्री की उंगली कट गई। यह वही मंत्री था जिसके सिर पर सेर करते समय आम गिरा था। मंत्री बीरबल को संबोधित करता हुआ बोला, ‘‘देखो, ईश्वर ने मेरे साथ क्या किया। क्या अब भी तुम यही कहोगे कि ईश्वर ने मेरे लिए यह अच्छा किया है ?”
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कुछ देर चुप रहने के बाद बोला बीरबल, ‘‘मेरा अब भी यही विश्वास है क्योंकि ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है।’’
राजा अकबर भी मंत्री और बीरबल की बात सुन रहे थे। तभी बीच में हस्तक्षेप करते हुए बादशाह अकबर बोले, ‘‘बीरबल हम भी अल्लाह पर भरोसा रखते हैं, लेकिन यहां तुम्हारी बात से सहमत नहीं। इस दरबारी के मामले में ऐसी कोई बात नहीं दिखाई देती जिसके लिए उसकी तारीफ की जाए। तलवार से इनकी उगली कट गई हैं इसमें अल्लाह या ईश्वर ने इसके लिए क्या सही किया है ?’’ बीरबल मुस्कराता हुआ बोला, ’’जहांपनाह, समय आने पर पता चल जायेगा की ईश्वर हमारे लिए सही ही करते है।’’
पांच महीने बीत चुके थे। वह मंत्री, जिसकी उंगली कट गई थी, घने जंगल में शिकार खेलने निकला हुआ था। वह एक हिरन का पीछा करते करते जंगल के बहुत अंदर तक चला गया। वह रास्ता भटक गया। बाहर जाने का रास्ता ढूंढते हुए वह एक आदिवासियों के कबीले में पहुंच गया। आदिवासियों में उसे पकड़ लिया। आदिवासी अपने देवता को प्रसन्न करने के लिए मानव बलि में विश्वास रखते थे। अतः वे उस दरबारी को पकड़कर मंदिर में ले गए, बलि चढ़ाने के लिए। लेकिन जब पुजारी ने उसके शरीर का निरीक्षण किया तो उसके हाथ की एक उंगली कम पाई। पुजारी ने उसे आदमी की बलि देने से मना कर दिया।
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पुजारी बोला, ‘‘नहीं, इस आदमी की बलि नहीं दी जा सकती। इसके एक हाथ की एक उंगली कटी हुई है इस कारण यह एक अधूरी बाली मानी जाएगी। यदि नौ उंगलियों वाले इस आदमी को बलि चढ़ा दिया गया तो हमारे देवता बजाय प्रसन्न होने के क्रोधित हो जाएंगे, अधूरी बलि उन्हें पसंद नहीं। हमें महामारियों, बाढ़ या सूखे का प्रकोप झेलना पड़ सकता है। इसलिए इसे छोड़ देना ही ठीक होगा।’’ और उस मंत्री को मुक्त कर दिया गया।
मंत्री वहां से छूटकर जैसे तैसे अपने राज्य वापस लौटा। अगले दिन वह मंत्री दरबार में बीरबल के पास आकर रोने लगा। तभी बादशाह भी दरबार में आ पहुंचे और उस मंत्री को बीरबल के सामने रोता देखकर हैरान रह गए।
‘‘तुम्हें क्या हुआ, क्यों रो रहे हो ?’’ अकबर ने पूछा।
जवाब में उस मंत्री ने पूरी घटना विस्तार से कह सुनाई। वह बोला, ‘‘अब मुझे पूरा विश्वास हो गया है कि ईश्वर जो कुछ भी करता है, मनुष्य के भले के लिए ही करता है। यदि जंगल में मेरी उंगली न कटी होती तो निश्चित ही आदिवासी मेरी बलि चढ़ा देते। कटी हुई उंगली की वजह से ही आज मेरे प्राणों की रक्षा हुई है। इसीलिए मैं रो रहा हूं, लेकिन ये आंसू खुशी के हैं। मैं खुश हूं क्योंकि मैं जिन्दा हूं। बीरबल के ईश्वर पर विश्वास को संदेह की दृष्टि से देखना मेरी भूल थी।’’
अकबर मंत्री की बात सुन कर मंद-मंद मुस्करा रहे थे। उनको भी यकीन हो गया था कि ईश्वर जो भी करता है वह मनुष्य के भले के लिए ही करता है। अकबर को गर्व महसूस हो रहा था कि बीरबल जैसा बुद्धिमान उसके दरबारियों में से एक है।