अकबर बीरबल की कहानी – आगरा कौन सा रास्ता जाता है।
Akbar Birbal Story in Hindi. Akbar Birbal ki kahani. Baccho ki kahaniyan
अकबर को शिकार का बहुत शौक था। वे किसी भी तरह शिकार के लिए समय निकल ही लेते थे। एक दिन अकबर अपने कुछ मंत्रियों और सेनिको के साथ रियासत के बहुत दूर जंगल में शिकार करने गए थे। अकबर अपने घोड़े पर सबसे आगे थे तथा उनके मंत्री और सिपाही उनके पीछे पीछे चल रहे थे। घोड़े पर दौड़ते दौड़ते राजा अकबर अपने मंत्री और सिपाहियों से बहुत आगे निकल गए थे। कुछ देर बाद जब राजा अकबर ने अपने पीछे देखा तो वहां उन्हें कोई नहीं मिला। शाम घिर आई थी, राजा अकबर को भूखे और प्यास सताने लगी। राजा ने सोचा कि वह जिस रास्ते से आए हैं उसी रास्ते से वापस रियासत की तरफ चल जाता हूं। लेकिन दिक्कत यह थी कि जंगल में चारो ओर सब एक जैसा ही लग रहा था। वे समझ गए थे कि वो रास्ता भटक गए हैं। राजा को समझ नहीं आ रहा था की वह किस तरफ़ जाएं।
Akbar Birbal Story in Hindi. Akbar Birbal ki kahani
कुछ दूर जाने पर उन्हें एक रास्ता नज़र आया। राजा बहुत खुश हुए चलो अब तो किसी तरह वे अपनी रियासत पहुँच ही जायेंगे। लेकिन जाएं तो जायें किस तरफ़। राजा उलझन में थे। राजा ने बहुत सोचा किंतु कोई युक्ति नहीं मिली। राजा कुछ देर उसी रास्ते में चल दिए। कुछ दूर चलने के बाद उनको एक लड़का कुएं में से पानी निकालते हुए दिखा। राजा अकबर उनके पास गए। राजा का गला सुख रहा था। राजा ने उसे पानी पिलाने को कहा। उस लड़के ने राजा को पानी पिलाया। राजा को अब थोड़ा चेन आया ।
राजा ने लड़के से पूछा, “ऐ लड़के, आगरा के लिए कौन सी सड़क जाती है”? लड़का मुस्कुराया और कहा, “जनाब, लोग चलते हैं, रास्ते नहीं। ये सड़क चल नहीं सकती तो ये आगरा कैसे जायेगी”। महाराज जाना तो आपको ही पड़ेगा और यह कहकर वह खिलखिलाकर हंस पड़ा।
यह सुनकर राजा मुस्कुराया और कहा, “तुम ठीक कह रहे हो। तुम्हारा नाम क्या है।”
“मेरा नाम महेश दास है महाराज”, लड़के ने उत्तर दिया।
अकबर ने कहा, “इस जंगल से बाहर निकलने का कोई रास्ता है जो आगरा तक जाता हो। “
मोहनदास ने उत्तर दिया, ” रास्ता ढूंढेंगे तो जरूर मिल जायेगा। ” मोहनदास अकबर को साथ ले कर कुछ दूर चलता है। कुछ दूर चलने के बाद उनको एक हिरण दिखता है। हिरण को देख कर मोहनदास अकबर से हिरण के जाने की उलटी दिशा की ओर इशारा करके कहता है , ” इस रास्ते से आप आगरा पहुंच जाओगे।”
अकबर ने मोहनदास से पूछा ,” तुम इतने विश्वास के कैसे कह सकते हो की इसी दिशा में चलने से में अपनी रियासत पहुंच जाएगा।”
मोहनदास ने उत्तर दिया, “जंगली पशुओं के रहने का स्थान जंगल होता है। शाम को जंगली पशु अपने निवास की तरफ चले जाते है। हिरण भी अपने निवास यानी जंगल की तरफ जा रहा था। जंगल के विपरित दिशा में नगर या गांव जाने के लिए कोई रास्ता जरूर होना चाहिए। इसलिए मैने हिरण के जाने की विपरित दिशा वाला रास्ता आपको बताया। “
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अकबर मोहनदास की बुद्धि से बहुत प्रभावित हुए। अकबर ने अपनी अंगूठी निकाल कर महेश दास को देते हुए कहा, “तुम महाराजा अकबर – हिंदुस्तान के सम्राट से बात कर रहे हो”, मुझे बुद्धिमान लोग पसंद हैं। तुम मेरे दरबार में आना और मुझे ये अंगूठी दिखाना। ये अंगूठी देख कर मैं तुम्हें पहचान लूंगा। मोहनदास ने राजा अकबर को प्रणाम किया और उनको दरबार में बुलाने के लिए धन्यवाद दिया। इस तरह अकबर भविष्य के बीरबल से मिले।