Akbar Birbal Story in Hindi. Akbar Birbal ki kahaniya. Baccho ki Kahaniya. बच्चो की कहानियां। अकबर बीरबल की छोटी कहानियां। Part 5
अकबर बीरबल की कहानी – टेढ़ा सवाल
एक दिन अकबर और बीरबल सैर के लिए जंगल गए। चलते-चलते अकबर ने एक टेढ़े पेड़ की ओर इशारा कर पूछा, “बीरबल, यह पेड़ टेढ़ा क्यों है?”
बीरबल मुस्कुराए और बोले, “जहांपनाह, यह इसलिए टेढ़ा है क्योंकि यह बाकी सभी पेड़ों का ‘साला’ है।”
अकबर ने चकित होकर पूछा, “तुम ऐसा क्यों कह रहे हो?”
बीरबल ने उत्तर दिया, “जहांपनाह, लोग कहते हैं कि कुत्ते की दुम और साले, दोनों कभी सीधे नहीं होते।”
अकबर ने मजाक में हंसते हुए पूछा, “तो क्या मेरा भी कोई साला टेढ़ा है?”
बीरबल ने तुरंत उत्तर दिया, “जी हां, बिल्कुल जहांपनाह!”
अकबर ठहाका लगाते हुए बोले, “तो ऐसे टेढ़े साले को फांसी चढ़ा देना चाहिए!”
कुछ समय बाद बीरबल ने फांसी के लिए तीन तख्ते बनवाए – एक सोने का, एक चांदी का और एक लोहे का।
अकबर ने हैरानी से पूछा, “ये तीन तख्ते किसके लिए हैं, बीरबल?”
बीरबल ने विनम्रता से कहा, “जहांपनाह, सोने का आपके लिए, चांदी का मेरे लिए और लोहे का हमारे सरकारी साले साहब के लिए।”
अकबर ने आश्चर्य से पूछा, “लेकिन हमें दोनों को क्यों फांसी दी जाएगी?”
बीरबल ने हंसते हुए जवाब दिया, “जहांपनाह, आखिरकार हम भी तो किसी न किसी के साले हैं।”
यह सुनकर अकबर दिल खोलकर हंस पड़े। इससे सरकारी साले की जान बच गई और उसे सम्मानपूर्वक बरी कर दिया गया।
अकबर बीरबल की कहानी – तीन-तीन गधों का बोझ
बादशाह अकबर और उनके दो बेटे अक्सर नदी में नहाने जाया करते थे। कभी-कभी बीरबल भी उनके साथ जाता, लेकिन वह खुद नहाने के बजाय किनारे पर ही बैठा रहता। एक दिन अकबर और उनके पुत्र नदी में नहाने लगे। बीरबल किनारे बैठकर उनके कपड़ों की रखवाली करने लगा। उसने सभी वस्त्र उठाकर अपने कंधों पर टांगा हुआ था।
नदी में नहाते हुए अकबर ने हमेशा की तरह बीरबल को चिढ़ाने का सोचा। मुस्कराते हुए उन्होंने आवाज लगाई, “बीरबल, तुम्हें देखकर तो लगता है जैसे तुम्हारे कंधों पर किसी गधे का बोझ लदा हो।”
बीरबल तुरंत हाजिरजवाबी से बोला, “हुजूर, केवल एक गधे का नहीं, बल्कि पूरे तीन-तीन गधों का बोझ मेरे कंधे पर है।”
अकबर यह सुनते ही चुप रह गए, क्योंकि बीरबल के कंधों पर उनके और उनके दोनों बेटों के कपड़े टंगे हुए थे।
अकबर बीरबल की कहानी – तीन रुपये, तीन चीजें
एक दिन अकबर ने देखा कि उनके एक मंत्री का चेहरा उदास है। उन्होंने कारण पूछा तो मंत्री ने कहा, “जहांपनाह, आप हर महत्वपूर्ण कार्य बीरबल को ही सौंपते हैं। हमें कभी अपनी योग्यता दिखाने का अवसर ही नहीं मिलता।”
यह सुनकर अकबर ने उसे परखने का सोचा। उन्होंने मंत्री को तीन रुपये दिए और कहा, “जा कर बाजार से तीन चीजें लाओ। हर चीज पर 1-1 रुपया खर्च होना चाहिए। लेकिन ध्यान रहे—पहली चीज यहां की होनी चाहिए, दूसरी चीज वहां की और तीसरी चीज न यहां की हो न वहां की।”
मंत्री उलझन में पड़ गया। बाजार के चक्कर काटे पर शर्त के मुताबिक कुछ समझ नहीं आया। थका-हारा वह बादशाह के पास लौट आया।
अब अकबर ने वही कार्य बीरबल को दिया। बीरबल थोड़ी देर बाद मुस्कुराते हुए लौटे और बोले,
“जहांपनाह, पहला रुपया मैंने मिठाई पर खर्च किया। यह यहां की चीज है।
दूसरा रुपया मैंने एक गरीब फकीर को दान कर दिया। यह पुण्य है, जो वहां यानी जन्नत की चीज है।
तीसरा रुपया मैंने जुए में लगा दिया और हार गया। यह रुपया न यहां मेरे काम आया और न वहां काम आएगा।”
बीरबल की चतुराईपूर्ण बात सुनकर अकबर और दरबारियों के चेहरे खिल उठे। सबने मान लिया कि बीरबल की बुद्धि सचमुच अनोखी है।