Akbar Birbal Story in Hindi
अकबर बीरबल की कहानी – पहली मुलाकात
अकबर को शिकार का बहुत शौक था। वह हमेशा समय निकालकर शिकार के लिए निकल पड़ते थे। इसी कारण वे अपने समय के बेहतरीन शिकारी और घुड़सवार कहलाए। एक बार अकबर शिकार पर निकले और तेज गति से घोड़ा दौड़ाते हुए आगे निकल गए। केवल कुछ सिपाही उनके साथ थे, बाकी दल पीछे छूट गया। शाम ढल चुकी थी, सभी भूखे-प्यासे और थके हुए थे। सबसे बड़ी समस्या यह थी कि राजा रास्ता भूल चुके थे।
घबराते-घबराते वे एक तिराहे पर पहुंचे। अकबर को उम्मीद जगी कि अब उन्हें राजधानी आगरा का रास्ता मिल जाएगा। मगर उलझन यह थी कि तीनों रास्तों में से कौन-सा सही है। सोच-विचार हो ही रहा था कि तभी उन्होंने देखा, सड़क किनारे एक लड़का खड़ा उनकी ओर ध्यान से देख रहा है। सैनिकों ने उसे पकड़कर राजा के सामने लाया।
अकबर ने सख्त आवाज़ में पूछा, “ऐ लड़के! बता, आगरा के लिए कौन-सी सड़क जाती है?”
लड़का मुस्कुराया और बोला, “जनाब, सड़क कहीं जा नहीं सकती। जाना तो आपको ही पड़ेगा।” यह कहकर वह ज़ोर से हंस पड़ा।
सैनिक सन्न रह गए, वे राजा के स्वभाव को जानते थे। पर अकबर नाराज़ होने के बजाय गंभीर होकर बोले, “अच्छा, तुम्हारा नाम क्या है?”
लड़के ने विनम्रता से उत्तर दिया, “मेरा नाम महेशदास है, हुजूर। और आप कौन हैं?”
अकबर ने अपनी अंगूठी निकालकर उसकी हथेली पर रखते हुए कहा, “तुम हिंदुस्तान के सम्राट अकबर से बात कर रहे हो। मुझे निडर लोग बहुत पसंद हैं। जब भी समय मिले, मेरे दरबार में आना और यह अंगूठी दिखाना। मैं तुम्हें पहचान लूंगा। अब बताओ, आगरा जाने का सही रास्ता कौन सा है।”
महेशदास ने सिर झुकाकर सही दिशा बताई। अकबर मन ही मन इस निडर और चतुर बालक से प्रभावित हुए।
यही वह पहली मुलाकात थी, जिसने महेशदास को आगे चलकर बीरबल बना दिया।