Akbar Birbal Story in Hindi. Akbar Birbal ki kahaniya. Baccho ki Kahaniya. बच्चो की कहानियां। अकबर बीरबल की छोटी कहानियां। Part 3

अकबर बीरबल की कहानी – छोटा बांस, बड़ा बांस

एक दिन अकबर और बीरबल बाग में टहल रहे थे। रास्ते में बीरबल मज़ेदार बातें सुना रहे थे और अकबर हँसते हुए उनका आनंद ले रहे थे। अचानक अकबर की नज़र घास पर पड़े बांस के एक छोटे टुकड़े पर पड़ी। उन्होंने सोचा कि बीरबल की बुद्धि की फिर से परीक्षा ली जाए।

अकबर ने उस टुकड़े की ओर इशारा करते हुए कहा, “क्या तुम इसे बिना काटे छोटा कर सकते हो?” बीरबल चुप हो गया और मुस्कुराते हुए अकबर की आँखों में देखने लगा।

अकबर ने शरारत भरी मुस्कान दी। बीरबल समझ गया कि बादशाह उन्हें उलझाने की कोशिश कर रहे हैं।

थोड़ी देर सोचने के बाद बीरबल ने देखा कि एक माली हाथ में लंबा बांस लिए जा रहा है। वह तुरंत उसके पास गया और उस लंबे बांस को अपने दाहिने हाथ में पकड़ लिया। दूसरे हाथ में अकबर का दिया छोटा टुकड़ा लिया और बोला— “हुजूर, अब देखिए, यह टुकड़ा बिना काटे ही छोटा हो गया।”

लंबे बांस की तुलना में छोटा टुकड़ा वाकई छोटा लग रहा था।अकबर बीरबल की समझदारी देखकर हँस पड़े और मन ही मन उनकी तीव्र बुद्धि की सराहना की।

अकबर-बीरबल की कहानी – जितनी लम्बी चादर उतने पैर पसारो

दरबार में अकबर के मंत्री और दरबारी अक्सर शिकायत करते थे कि बादशाह हमेशा बीरबल की ही बुद्धिमानी की तारीफ़ करते हैं, दूसरों की नहीं।

एक दिन अकबर ने सोचा कि क्यों न सबकी परीक्षा ली जाए। उन्होंने अपने सभी दरबारियों को बुलाया और उन्हें दो हाथ लम्बी और दो हाथ चौड़ी चादर देते हुए कहा – “अगर तुम लोग मुझे इस चादर से सिर से पाँव तक ढक दो, तो मैं तुम्हें बुद्धिमान मान लूँगा।”

दरबारियों ने बारी-बारी से कोशिश की। लेकिन छोटी चादर से बादशाह का पूरा शरीर ढकना असंभव था। कोई सिर ढकता तो पैर बाहर निकल आते, पैर ढकते तो सिर खुला रह जाता। सबने अलग-अलग तरीकों से प्रयास किया, लेकिन कोई सफल न हो पाया।

अब बारी आई बीरबल की। अकबर ने वही चादर उन्हें भी दी। बीरबल ने पहले बादशाह से कहा – “जहाँपनाह, ज़रा अपने पैर सिकोड़ लीजिए।”

अकबर ने पैर समेटे और तभी बीरबल ने आसानी से उन्हें सिर से पाँव तक चादर से ढक दिया।

सभी दरबारी हैरानी से बीरबल को देखने लगे। तब बीरबल मुस्कुराते हुए बोले – “जहाँपनाह, जीवन में भी यही नियम है – जितनी लम्बी चादर हो, उतने ही पैर पसारो। अपनी सीमाओं और साधनों के अनुसार ही रहना बुद्धिमानी है।”

अकबर-बीरबल की कहानी – जीत किसकी

बादशाह अकबर एक बड़ी जंग की तैयारी कर रहे थे। पूरी फौज सज-धजकर तैयार थी। बादशाह अपने घोड़े पर सवार होकर आ पहुंचे, उनके साथ बीरबल भी था। उन्होंने इशारा किया और फौज युद्ध के मैदान की ओर चल पड़ी।

बादशाह सबसे आगे थे और उनके पीछे उनकी विशाल सेना। चलते-चलते अचानक अकबर को जिज्ञासा हुई। उन्होंने बीरबल से पूछा, “क्या तुम बता सकते हो कि इस जंग में जीत किसकी होगी?”

बीरबल मुस्कुराकर बोला, “हुजूर, इसका सटीक जवाब मैं जंग खत्म होने के बाद ही दूँगा।”

कुछ देर बाद सेना मैदान में पहुँची। बीरबल ने कहा, “हुजूर, अब आपके सवाल का उत्तर है—जीत आपकी ही होगी।”

अकबर हैरान हुए और बोले, “तुम इतनी जल्दी यह बात कैसे कह सकते हो? दुश्मन की सेना भी तो बहुत बड़ी है।”

बीरबल ने समझाते हुए कहा, “हुजूर, दुश्मन हाथियों पर सवार हैं। हाथी तो अक्सर अपनी ही सूंड से मिट्टी उठाकर अपने ऊपर फेंकते रहते हैं, यानी अपनी मस्ती में रहते हैं। लेकिन आप घोड़े पर सवार हैं। घोड़ा बहादुर का साथी है और अपने मालिक को कभी धोखा नहीं देता।”

और सचमुच, उस जंग में जीत अकबर की ही हुई।

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