Akbar Birbal Story in Hindi
अकबर बीरबल की कहानी – दूज का चाँद
Akbar Birbal Story in Hindi. बीरबल अपनी बुद्धिमानी और हाजिरजवाबी के कारण पूरे देश-विदेश में प्रसिद्ध थे। उनकी चतुराई की ख्याति जब इरान के बादशाह तक पहुंची, तो उन्होंने अकबर से संदेश भेजकर अनुरोध किया कि बीरबल को कुछ समय के लिए उनके दरबार में भेजा जाए। अकबर ने सहर्ष अनुमति दी और बीरबल को बहुमूल्य वस्त्रों व आभूषणों के साथ इरान रवाना किया।
इरान की सीमा पर बीरबल का भव्य स्वागत हुआ। अगले दिन वह इरान के बादशाह के दरबार में पहुंचे। वहां उनका आदर-सत्कार किया गया और अकबर के भेजे उपहारों के लिए धन्यवाद दिया गया। बीरबल ने बादशाह को राजनीति और कूटनीति के कई रहस्य समझाए, जिनसे वह प्रभावित हुए।
विदाई के समय इरान के बादशाह ने सबके सामने बीरबल से पूछा, “तुम्हारे राजा और मेरे बीच तुलना कैसे होगी?”
बीरबल ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया, “जहांपनाह, मेरे राजा दूज के चांद जैसे हैं और आप पूनम के पूर्ण चांद की तरह।”
यह सुनते ही बीरबल के साथ गए कुछ दरबारी चुगली करने लगे, “देखो, इरान के बादशाह को तो पूनम का चांद बताया और अपने ही राजा को दूज का चांद! यह तो हमारे राजा को छोटा बताना हुआ।” सबने मिलकर तय किया कि इस बात की शिकायत अकबर से करेंगे।
जब बीरबल दरबार लौटे, तो अकबर ने बड़े स्नेह से उनका स्वागत किया। लेकिन दरबारियों ने तुरंत चुगली कर दी। अकबर नाराज होकर बोले, “बीरबल, तुमने मेरी तुलना दूज के चांद से क्यों की? मुझे पूनम के चांद जैसा क्यों नहीं कहा?”
बीरबल मुस्कुराए और बोले, “जहांपनाह, दूज का चांद हर दिन बढ़ता है, उसकी कांति और तेज बढ़ते-बढ़ते पूर्णिमा तक पहुंचते हैं। उसी तरह आपका पराक्रम और साम्राज्य प्रतिदिन बढ़ रहा है। इसीलिए मैंने आपको दूज के चांद जैसा कहा। पर पूनम का चांद तो केवल एक दिन पूरे तेज के साथ चमकता है, फिर घटने लगता है और अंततः अमावस की रात बिल्कुल ही गायब हो जाता है। इसलिए पूनम का चांद स्थायी महानता का प्रतीक नहीं है। दूज का चांद ही सबसे श्रेष्ठ है।”
राजा अकबर यह सुनकर प्रसन्न हो गए। उन्होंने तुरंत झूठी चुगली करने वाले दरबारियों को फटकार लगाई और बीरबल को धन और सम्मान से पुरस्कृत किया।