अकबर बीरबल की कहानी – कितनी माताएं
Akbar Birbal Story in Hindi. Akbar Birbal ki kahaniya
एक बार अकबर और बीरबल हमेशा की तरह नदी के किनारे टहल रहे थे। रास्ते में एक तुलसी का पौधा दिखा तो बीरबल ने झुककर तुलसी के पौधे को प्रणाम किया।
अकबर ने पूछा- बीरबल, कौन है ये?
बीरबल- जहापनाह, ये मेरी माता हैं।
अकबर बीरबल का जवाब सुन कर हंसा और तुलसी के पौधे को उखाड़ते हुए बोला- कितनी माता हैं तुम लोगों की?
बीरबल को अकबर की यह बात अच्छी नहीं लगी। बीरबल ने अकबर को जवाब देने की एक तरकीब सूझी। टहलते टहलते बीरबल को एक बिच्छूपत्ती (खुजली वाला पौधा) झाड़ दिखा। बीरबल ने उसे दंडवत् प्रणाम कर कहा- जय हो बाप मेरे।
अकबर को गुस्सा आया और दोनों हाथों से झाड़ को उखाड़ने लगा। झाड़ के स्पर्श से अकबर को भयंकर खुजली होने लगी। अकबर खुजली से परेशान हो गया। अकबर बीरबल से बोला ,”बीरबल ये क्या हो गया? मुझे इतनी खुजली क्यों हो रही है।”
बीरबल ने कहा- आपने मेरी मां को मारा इसलिए ये गुस्सा हो गए।
अकबर अपने जहां भी हाथ लगाता, खुजली होने लगती। अकबर खुजली से परेशान हो कर बीरबल से बोला,” बीरबल खुजली खत्म करने का जल्दी ही कोई उपाय बताओ।”
बीरबल – उपाय तो है लेकिन वो भी हमारी मां है तथा उससे ही विनती करनी पड़ेगी।
अकबर – जो भी करना है करो, पर जल्दी करो।
वही थोड़ी दूर पर गाय खड़ी थी। बीरबल ने अकबर से कहा- जहापनाह, गाय से विनती करो कि हे माता, मुझे खुजली से बचा लो। अकबर ने ऐसा ही किया।
गाय ने गोबर कर दिया। बीरबल ने अकबर से गौबर का लैप करने को कहा। अकबर खुजली से परेशान था। उसने तुरंत गाय के गौबर का लैप कर लिया। अकबर के शरीर पर उसका लेप करने से फौरन खुजली से राहत मिल गई।
अकबर बीरबल से बोला- बीरबल, अब क्या हम राजमहल में ऐसे ही जाएंगे?
बीरबल ने कहा- नहीं बादशाह, हमारी एक और मां है। सामने देखिए, गंगा बह रही थी। आप बोलिए हर-हर गंगे, जय गंगा मइया की और गंगा नदी में कूद जाइए।
अकबर ने ऐसा ही किया। नहाकर अपने आप को तरोताजा महसूस करते हुए अकबर ने बीरबल से कहा कि ये तुलसी माता, गौमाता, गंगा माता तो जगतमाता हैं। इनको मानने वालों को ही ‘हिन्दू’ कहते हैं।