अकबर बीरबल की कहानी – कोयले की बोरी

Akbar Birbal Story in Hindi

अकबर के दरबारी हमेशा से ही बीरबल की जगह लेना चाहते थे। अकबर जानते थे कि बीरबल की जगह ले सके ऐसा बुद्धिमान इस संसार में कोई नहीं है। फिर भी अकबर ने सभी दरबारियों और बीरबल की परीक्षा लेने की सोची। इसीलिए उन्होने सभी दरबारियों को एक- एक कोयले से भरी बोरी दे दी और कहा कि- जाओ और इसे हमारे राज्य के किसी भी सेठ को 10000 रुपए से अधिक दाम पर बेचकर दिखाओ, जो सबसे अधिक दाम पर यह बोरी बेच देगा उसको दरबार का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति समझा जायेगा।

अकबर बीरबल की कहानी – कोयले की बोरी. Akbar Birbal Story in Hindi

अकबर की इस अजीब शर्त को सुन कर सभी दरबारी अचंभे में पड़ गये। सभी ने एक एक कोयले की बोरी ली और बाजार की तरफ चल दिए। सभी दरबारियों ने कोयले की बोरी बैचने की बहुत कोशिश की पर एक भी दरबारी कोयले की बोरी को 100 रुपए में भी नही बेच पाए।  बहुत से दुकानदार ने कोयले की बोरी के बदले एक ढेला भी देने से इनकार कर दिया। सभी दरबारी अपना सा मुंह लेकर महल वापस लौट आया और अपनी हार स्वीकार कर ली।

अब अकबर ने वही काम बीरबल को करने को कहा। बीरबल कुछ सोचे और फिर बोले कि में यह कोयले की बोरी क्या मैं सिर्फ कोयले का एक टुकड़ा ही दस हज़ार रूपये में बेच आऊंगा। यह बोल कर वह तुरंत वहाँ से रवाना हो गए। सबसे पहले उसने एक दरज़ी के पास जा कर एक मखमली कुर्ता सिलवाया। हीरे-मोती वाली मालाएँ गले में डाली। महंगी जूती पहनी और कोयले को बारीक सुरमे जैसा पिसवा लिया।

फिर उसने पिसे कोयले को एक सुरमे की छोटी चमकदार डिब्बी में भर लिया। इसके बाद बीरबल ने अपना भेष बदल लिया और एक मेहमानघर में रुक कर इश्तिहार दे दिया कि बगदाद से बड़े शेख आए हैं। जो करिश्माई सुरमा बेचते हैं। जिसे आँखों में लगाने से मरे हुए पूर्वज दिख जाते हैं और यदि उन्होंने कहीं कोई धन गाड़ा है तो उसका पता बताते हैं। यह बात शहर में आग की तरह फ़ैली।

अकबर बीरबल की कहानी – कोयले की बोरी. Akbar Birbal Story in Hindi

नगर के सभी सेठों को यह बात पता चली। उन सेठों में एक बहुत धनी सेठ धनराज भी था। जब धनराज ने यह बात सुनी तो उसने सोचा ज़रूर उसके पूर्वजों ने कहीं न कहीं धन गाड़ा होगा। उसने तुरंत शेख बने बीरबल से सम्पर्क किया और सुरमे की डिब्बी खरीदने की पेशकश की। शेख ने डिब्बी के 20 हज़ार रुपये मांगे और मोल-भाव करते-करते 10 हज़ार में बात तय हुई।

पर सेठ धनराज भी होशियार था, उसने कहा मैं अभी तुरंत ये सुरमा लगाऊंगा और अगर मुझे मेरे पूर्वज नहीं दिखे तो मैं पैसे वापस ले लूँगा। बीरबल बोला, “बिलकुल आप ऐसा कर सकते हैं, चलिए शहर के चौराहे पर चलिए और वहां इसे जांच लीजिये।”

सुरमे का चमत्कार देखने के लिए भीड़ इकठ्ठा हो गयी। तब बीरबल ने ऊँची आवाज़ में कहा, “ये सेठ अभी ये चमत्कारी सुरमा लगायेंगे और अगर ये उन्ही की औलाद हैं जिन्हें ये अपना माँ-बाप समझते हैं तो इन्हें इनके पूर्वज दिखाई देंगे और गड़े धन के बारे में बताएँगे। लेकिन अगर आपके माँ-बाप में से किसी ने भी बेईमानी की होगी और आप उनकी असल औलाद नहीं होंगे तो आपको कुछ भी नहीं दिखेगा।

और ऐसा कहते ही बीरबल ने सेठ की आँखों में सुरमा लगा दिया। फिर क्या था, सिर खुजाते हुए सेठ ने आँखें खोली। अब दिखना तो कुछ था नहीं, पर सेठ करे भी तो क्या करे! अपनी इज्ज़त बचाने के लिए सेठ ने दस हज़ार बीरबल के हाथ थमा दिये। और मुंह फुलाते हुए आगे बढ़ गए। बीरबल फ़ौरन अकबर के पास पहुंचे और रुपये थमाते हुए सारी कहानी सुना दी। अकबर ने दरबार में बीरबल की बहुत प्रशंसा की और बीरबल को उचित पुरस्कार दिया। सभी दरबारी बीरबल की अक्ल को जान चुके थे। अकबर-बीरबल एक दूसरे को देख कर मंद-मंद मुसकाने लगे।

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