अकबर बीरबल की कहानी – तीन सवाल
Akbar Birbal Story in Hindi. Akbar Birbal ki kahaniya
एक दिन बादशाह अकबर ने दरबार में सभी दरबारियों से तीन सवालों के जवाब देने को कहा। उन्होंने ऐलान किया कि जो भी मेरे सवालों का सही जवाब देगा उसे भारी ईनाम दिया जाएगा। सवाल कुछ इस प्रकार से थे-
ऐसा क्या है जो आज भी है और कल भी रहेगा ?
ऐसा क्या है जो आज भी नहीं है और कल भी नहीं होगा ?
ऐसा क्या है जो आज नही है लेकिन कल होगा ?
इन तीनों सवालों के उदाहरण भी देने थे। सभी दरबारी इन तीनों सवालों के जवाब ढूंढने में लग गए। किसी को भी चतुराई भरे इन तीनों सवालों का जवाब नहीं सूझ रहा था। तभी बीरबल बोला, ‘‘हुजूर ! आपके सवालों का जवाब मैं दे सकता हूं, लेकिन इसके लिए आपको मेरे साथ शहर का दौरा करना होगा। तभी आपके सवाल का सही सही जवाब आपको मिल पाएगा’’
अकबर और बीरबल दोनो ने अपना वेश बदला और संत का बाना पहनकर निकल पड़े। कुछ ही देर बाद वे बाजार पहुंच गए। फिर दोनों एक दुकान में घुस गए। बीरबल ने दुकानदार से कहा, ‘‘हमें बच्चों की पढ़ाई के लिए एक विद्यालय बनाना है, तुम हमें इसके लिए हजार रुपये दे दो।’’ दुकानदार एक संतप्रेमी और समाजसेवी व्यक्ति भी था। दुकानदार ने अपने मुनीम से कहा कि इन्हें एक हजार रुपये दे दो। बीरबल दुकानदार से बोला, “जब मैं तुमसे रुपये ले रहा हूंगा तो तुम्हारे सिर पर जूता मारूंगा। हर एक रुपये के पीछे एक जूता पड़ेगा। बोलो, तैयार हो ?’’
यह सुनते ही दुकानदार के मुनीम का पारा चढ़ गया और वह बीरबल से दो-दो हाथ करने आगे बढ़ आया। लेकिन दुकानदार ने मुनीम को शांत करते हुए कहा, ‘‘मैं तैयार हूँ, लेकिन मेरी एक शर्त है। मुझे विश्वास दिलाना होगा कि मेरा दिया हुआ पैसा इसी नेक काम पर खर्च होगा।’’
ऐसा कहते हुए दुकानदार ने सिर झुका दिया और बीरबल से बोला कि वह जूता मारना शुरू करें। तब बीरबल व अकबर बिना कुछ कहे-सुने दुकान से बाहर निकल आए। दुकान से बाहर आकर दोनों सड़क के किनारे- किनारे चलनेलगे। दोनों चुपचाप चले जा रहे थे कि तभी बीरबल ने मौन तोड़ा, ‘‘जहापनाह ! आपके पहले सवाल का जवाब अभी मिल गया। दुकान में जो कुछ हुआ उसका मतलब है कि दुकानदार के पास आज पैसा है और उस पैसे को नेक कामों में लगाने की नीयत भी, जो उसे आने वाले कल (भविष्य) में उसका नाम रोशन करेंगी। इसका एक मतलब यह भी है कि अपने द्वारा किए गए नेक कामों से वह जन्नत में अपनी जगह पक्की कर लेगा। आप इसे यूं भी कह सकते हैं कि जो कुछ उसके पास आज है, कल भी उसके साथ होगा। यह आपके पहले सवाल का जवाब है।’’
फिर वे उसी रास्ते पर आगे चलते रहे। वे चलते हुए एक भिखारी के पास पहुंचे। उन्होंने देखा कि एक आदमी उस भिखारी को कुछ खाने को दे रहा है और वह खाने का सामान उस भिखारी की जरूरत से कहीं ज्यादा है। तब बीरबल उस भिखारी के पास गया और बोला, ‘‘हम भूखे हैं, हमने सुबह से कुछ नही खाया है, क्या तुम हमे कुछ खाने को दोगे।’’ यह सुनकर भिखारी बीरबल पर बरस पड़ा, ‘‘भागो यहां से। जाने कहां से आ जाते हैं मांगने।’’
तब बीरबल अकबर से बोला, ‘‘जहापनाह ! यह रहा आपके दूसरे सवाल का जवाब। यह भिखारी ईश्वर को खुश करना नहीं जानता। इसका मतलब यह है कि आज भी इसके पास कुछ नहीं है, जो कुछ इसके पास अभी है, वो कल नहीं होगा। इसने भी थोड़े में संतोष किया होता तो हो सकता की कल परोपकार के कर्म के कारण भगवान इसे कल बहुत कुछ देता। ’’
दोनों फिर आगे बढ़ गए। उन्होंने देखा कि एक तपस्वी पेड़ के नीचे तपस्या कर रहा है। बीरबल ने पास जाकर उसके सामने कुछ पैसे रखे। तब वह तपस्वी बोला, ‘‘इसे हटाओ यहां से। मुझे पैसों की जरूरत नहीं हैं। पैसों से मन में लोभ उत्पन्न होता हैं जो मुझे भगवान से दूर ले जाता हैं। जो पैसा मुझे मेरे भगवान से दूर कर दे ऐसा पैसा मुझे नहीं चाहिए।’’
अब बीरबल बोला, ‘‘हुजूर ! इसका मतलब यह हुआ कि अभी तो तपस्वी के पास कुछ नहीं है लेकिन बाद में हो सकता है। आज यह तपस्वी सभी सुखों को नकार रहा है। लेकिन कल यही सब सुख इसके पास होंगे। यह आपके तीसरे सवाल का जवाब है। “
बीरबल ने अकबर से फिर कहा, ‘‘हुजूर ! पिछले जन्म में आपने अच्छे कर्म किए थे जो इस जन्म में आप जीवन शानो-शौकत के साथ बिता रहे हैं, किसी चीज की कोई कमी नहीं। यदि आपने इसी तरह ईमानदारी और न्यायप्रियता से राज करते रहे तो इस जन्म के अंत तक और अगले जन्म में भी आप इसी शानो-शौकत के साथ जीवन यापन करते रहेंगे। लेकिन यह न भूलें कि यदि आप राह भटक गए तो कुछ साथ नहीं रहेगा।’’ अपने सवालों के बुद्धिमत्तापूर्ण चतुराई भरे जवाब सुनकर बादशाह अकबर बेहद खुश हुए।