क्या आप जानते हैं चैत्र नवरात्रि का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
Chaitra Navratri Festival kyo manaya jata hai?
दोस्तों हर साल चैत्र शुक्ल प्रथमं को हम नवरात्रों का त्यौहार मनाते हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से इस त्यौहार को मनाया जाता है। कहीं कुछ लोग पूरी रात गरबा और आरती करके नवरात्रों के त्यौहार को मानते हैं तो वहीं कुछ लोग व्रत और उपवास रखकर मां दुर्गा और उसके नौ रूपों की पूजा करते हैं।
चैत्र शुक्ल प्रथम को हिन्दू कलेंडर के हिसाब से नववर्ष भी मनाया जाता है। हिन्दू अपना नववर्ष चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन ही मानते है।
नवरात्रि में लोग नो दिनों तक उपवास करते है। नवरात्रि के अंतिम दिनों अष्टमी या नवमी में कन्याओ को भोजन खिलाया जाता है। नवरात्रि के नो दिनों तक हम माँ की आराधना करते है। नवरात्रि के नो दिन बहुत ही शक्तिशाली होते है। इन दिनों हम मा की आराधना करके किसी भी शिद्धि को प्राप्त कर सकते है।
आज हम जानते है इन नवरात्रों के पीछे असल कहानी क्या है।
नवरात्रि की कथा के अनुसार महिषासुर नाम का एक बड़ा ही शक्तिशाली राक्षस था। वह अमर होना चाहता था इसीलिए उसने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की। वर्मा जी उसकी तपस्या से खुश होकर दर्शन दिये तथा कोई वरदान मागने को कहा।
महिषासुर ने अपने लिए अमर होने का वरदान मांगा। महिषासुर की ऐसी बातें सुनकर ब्रह्मा जी बोले कि जो भी इस संसार में पैदा हुआ है उसकी मौत सुनिश्चित है इसलिए जीवन और मृत्यु को छोड़कर तुम जो चाहो मांग सकते हो।
ऐसा सुनकर महिषासुर ने कहा कि ठीक है प्रभु फिर मुझे ऐसा वरदान दीजिए कि मेरी मृत्यु ना तो किसी देवता ना ही किसी असुर के हाथों हो और ना ही किसी मानव के हाथों हो ।अगर हो तो किसी स्त्री के हाथों।
महिषासुर की ऐसी बात सुनकर ब्रह्मा जी ने तथास्तु कहा और चले गए। इसके बाद तो महिषासुर राक्षसों का राजा बन गया। उसने देवताओं पर आक्रमण करना शुरू कर दिया। इससे देवता घबरा गए और सभी एकजुट होकर भगवान शिव जी और विष्णु भगवान के सामने चले गए।
लेकिन महिषासुर को ब्रह्मा जी का वरदान मिला हुआ था कि उसकी उसकी मृत्यु उनके हाथों तो नहीं हो सकती इसलिए भगवान शिव जी और विष्णु जी भी उसका कुछ नहीं कर सकते।
तब महिषासुर से देवताओं की रक्षा करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु और भगवान शिव के साथ मां आदि शक्ति की आराधना की। उन सभी के शरीर से एक-एक दिव्या रोशनी निकली जिसने एक खूबसूरत और अलौकिक रूप में मां दुर्गा का रूप धारण किया।
सभी ने माँ दुर्गा से महिषासुर से रक्षा करने की प्रार्थना की। देवी ने सभी को आशीर्वाद दिया और महिषासुर का संहार करने जंगल मे चली गयी।
माँ दुर्गा जंगल मे रहने लगी। देवी दुर्गा को देखकर महिषासुर उन पर मोहित हो गया तथा उनसे शादी करने का प्रस्ताव रखा। माता दुर्गा के बार-बार मना करने पर भी महिषासुर नहीं माना।
तब माता दुर्गा ने उनके सामने एक शर्त रखी उन्होंने कहा कि महिषासुर को उनसे लड़ाई में जीतना होगा तभी वह उससे शादी करेगी।
महिषासुर यह बात मान गया और फिर लड़ाई शुरू हो गई। जो की 9 दिनों तक चली थी। दसवें दिन देवी माता ने महिषासुर का अंत कर दिया था और तभी से यह नवरात्रि का व्रत 9 दिन का मनाया जाता है।
दोस्तों नवरात्रि के यह 9 दिन बहुत ही शुभ माने जाते हैं।इन नौ दिनों तक जो भी माँ की आराधना करता है उसके सभी कार्य सफल होते हैं । उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।