Hindi Sory. Family Story in Hindi. पारिवारिक कहानी। हिन्दी कहानिया। फॅमिली स्टोरी इन हिन्दी।
पारिवारिक कहानी- रिश्तों मे जमी बर्फ
सुनते हो…! रवि की शादी के कार्ड के लिए पापा ने अपने कुछ दोस्तों की लिस्ट दी है और बोला है कि ये सब उनके पुराने दोस्त हैं, इसलिए उन्हें भी बुलाना है। दोहिते की शादी में उनके दोस्तों को बुलाने के लिए पापा का विशेष आग्रह है। अभी कल ही पापा बोल रहे थे कि उनको फेसबुक पर उनके बहुत पुराने दोस्त गुप्ता जी, जिनसे उनकी बातचीत सालों पहले किसी छोटी सी बात को लेकर लड़ाई होने से बंद हो गई थी, की फ्रैंड रिक्वेस्ट आई है जिसे उन्होंने एक्सेप्ट कर ली। पुरानी सारी बातें भुला कर पापा और गुप्ता अंकल की फिर से दोस्ती हो गई है। गुप्ता जी से पापा ने उनका पता भी ले लिया है, उन्हें भी बुलाना है।
सुधीर ‘गुंजन ठीक है। मेने लिस्ट बना दी हैं। जिसका नाम लिस्ट में जोड़ना है वो तुम मुझे बता दो। तुम पीहर पक्ष के रिश्तेदारों की लिस्ट भी फाइनल करो। अब समय बहुत कम बचा है।’
गुंजन बोली ‘देखो बाकी सभी रिश्तेदारों की लिस्ट तो तैयार है बस मेरी माया बुआ का नाम नहीं जोड़ा है। माया बुआ और मेरे पापा की बोलचाल तो सालों पहले से बंद है।’
सुधीर ने गुंजन से आश्चर्य से पूछा कि ये माया बुआ कौन है? मेरी इच्छा है कि हम उन्हें भी अपने बेटे रवि की शादी में बुलाएं। ऐसी क्या बात हुई कि उनकी इतने सालों से बोलचाल बंद है। गुंजन बोली….’वैसे बात तो कुछ भी नहीं है……सालों पहले जब हम छोटे थे तब बुआ के बच्चों और हमारे में खेलते-खेलते लड़ाई हो गई। हम बच्चों की लड़ाई बढ़ते-बढ़ते बड़ों तक पहुंच गई। बस इतनी सी बात से ही दोनों में कुछ कहा-सुनी हुई, दोनों में मन-मुटाव हो गया और पापा व बुआ ने बोलचाल बंद कर दी थी…जो अब तक बंद है।’
गुंजन अब मेरा विचार है कि मैं अपने रवि की शादी का कार्ड तुम्हारी माया बुआ को जरूर दूंगा और व्यक्तिगत जाकर उन्हें सपरिवार आने के लिए आमंत्रित करूंगा। दोनों परिवारों के रिश्तों में जमी बर्फ है उसे पिघलाने के लिए किसी को तो पहल करनी ही होगी।’
अगले ही दिन दोनों माया बुआ के घर गए और उन्हें शादी का निमंत्रण दिया। बुआ भी निमंत्रण पाकर काफी खुश थी। शादी में माया बुआ अपने पूरे परिवार के साथ आई थी। बुआ के पूरे परिवार ने शादी की हर रस्म-रिवाज में झिझकते हुए हिस्सा लिया। वर-वधु के एक ओर माया बुआ का पूरा परिवार था तो दूसरी ओर पापा का पूरा परिवार। दोनों सालों बाद मिले और एक-दूसरे से माफी मांग रहे थे। उम्र के इस पड़ाव में दोनों को हंसते-मुस्कुराते देख सभी आनंदित थे। खुशी के आंसू दोनों की आंखों से छलक रहे थे। गुंजन और सुधीर दोनों दूर खड़े इस सुखद नजारे को देख प्रसन्न थे। गुंजन ने सुधीर को धन्यवाद दिया और कहा कि ये सब आपके कारण ही संभव हो पाया है।
सुधीर बोले ‘गुंजन इस रिश्ते पर जमी बर्फ को स्नेह की गर्माहट का इंतजार था और हमारी छोटी सी पहल से वो जमी बर्फ पिघल सी गई है। उधर सुधीर के पिता जी और गुप्ता जी भी अपने पुराने मनमुटाव को भुला कर शादी का आनंद ले रहे थे। जी हा, सुधीर ने गुप्ता जी को भी शादी में बुलाया था । वह उनके पिताजी और उसके बचपन के दोस्त गुप्ता जी के बीच हुए मनमुटाव को खत्म करना चाहता था। आज बहुत दिनों बाद रिश्तों में जमी बर्फ हटी थी।