शिक्षाप्रद कहानी- सिलाई मशीन का अविष्कार.
HINDI STORY- Silai Machine ka Avishkar.
क्या आपको मालूम ही सिलाई मशीन के अविष्कार के पीछे की कहानी?
सिलाई मशीन का अविष्कार एक अमरीकी युवक ईलियस होव ने किया था। सिलाई मशीन के अविष्कार के पीछे एक बेहद ही रोमांचित घटना है। यह घटना 1840 की है। ईलियस होव के बचपन से एक पैर नही था। जब ईलियस स्कूल जाते थे तो उनके सहपाठी उनको लगड़ा लंगड़ा कह कर चिडाते थे। लेकिन ईलियस उनका बुरा नही मानते थे। वो ईलियस के इस व्यवहार से बहुत हैरान हुआ। इतना चिढ़ाने के बाद भी ईलियस उनको कुछ नही कहते थे। आखिरकार वो सब भी ईलियस के दोस्त बन गए।
एक दिन उसकी स्कूल की ड्रेस फट गई। उसमे वो ड्रेस अपनी मां को दिखाई। मां ने उसे वो ड्रेस ले ली और ड्रेस सिलने लगी। ईलियस ने ड्रेस दर्जी से सिलने को कहा। मां ने कहा कि हमारे पास इतने पैसे नही है। वह सोचने लगा, मां वृद्ध हो गई है और अनेक दुख सहन कर उसे पढ़ा रही है। उससे पढ़ाई छोड़ दी और काम को तलाश में शहर निकल गया। शहर में वो एक मशीन बनाने वाले कारखाने में गया।
वहा जा कर उसने कारखाने के मालिक से उसे काम पर रखने को विनती की। कारखाने के मालिक ने उसे काम पर रख लिया। वह वहा मेहनत और लगन से काम करने लगा।
एक दिन कारखाने का मालिक किसी से बात कर रहा था, ‘हाथ से हम जितना काम करते हैं, मशीन से उसका दस गुना काम कर सकते हैं। एक दर्जी दिनभर में एक कमीज की सिलाई करता है, लेकिन सिलाई की मशीन बन जाए, तो एक दिन में दस कमीज की सिलाई की जा सकती है।
ईलियस ने जब यह बात सुनी तो उसके मन में कपड़े सिलने को मशीन बनाने की इच्छा होने लगी। उसमे अपने मालिक से पूछा, अगर आप अनुमति दे तो में कपड़े सिलने की मशीन बनाने की कोशिश करू। मालिक को उसकी मेहनत और लगन पर विश्वास था।मालिक ने उससे कहा, “क्या तुम्हें विश्वास है कि ऐसी मशीन बनाई जा सकती है?”
ईलियस ने मालिक से कहा, मालिक मुझे अपने आप पर पूरा विश्वास है की में ऐसी मशीन बना सकता हु।
कारखाने में मालिक ने उसे मशीन बनाने की अनुमति दे दी।
ईलियस ने कड़ी मेहनत करके कपड़े सिलने की मशीन के चित्र डिजाइन किए। इन चित्रों के आधार पर एक सिलाई मशीन बनाई जा सकती थी। कारखाने के अच्छे कारीगरों ने इस चित्र के आधार पर मशीन के पुर्जे तैयार किए। उन सभी पुर्जों को मिला कर एक सिलाई मशीन बनाई गई। लोगो को पहले सिलाई मशीन पर विश्वास नहीं हुआ। पर धीरे धीरे जब लोग मशीन देखने आने लगे तब उनको विश्वास हुआ की मशीन से कपड़े भी सीले जा सकते है। सिलाई मशीन से कपड़े सिलने में काफी कम समय लगता था इसलिए सिलाई मशीन की मांग जल्दी ही मार्केट में बड़ गई।
वर्ष 1867 में ईलियस होव की मृत्यु हो गई, लेकिन उसके आविष्कार का लाभ आज पूरी दुनिया उठा रही है।
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