Husband wife love story. पति पत्नी की लव स्टोरी। 

पारिवारिक हिंदी लव स्टोरी – खामोशी 

सुनीता और अनिल ने अभी पिछले महीने ही अपनी शादी की 40 वीं सालगिरह मनाई है। भरापूरा परिवार हैं उनका। दो बच्चे है। एक लड़का एक लड़की। लड़की शादी करके अपने ससुराल में सुख से है। बेटा भी नोकरी की वजह से दूर दूसरे शहर में रहता है। हर एक दो महीने में अपने माता पिता से मिलने आया रहता है।
सुनीता और अनिल ने अपनी जिंदगी का सबसे खूबसूरत पल साथ-साथ जीया है और एक दूसरे का हौसला बन जीवन के मुश्किल समय को भी पार किया है। फिर भी दोनों के बीच बात करने को कुछ नहीं है। अकसर दोनों चुप हो टीवी देखते हैं या बिना मतलब मोबाइल पर उंगलियां चलाते रहते हैं। दोनो एक कमरे में तो रहते लेकिन दोनो बस चुपचाप टीवी देखते रहते या अपने अपने मोबाइल में व्यस्त रहते। ये चुप्पी धीरे-धीरे दोनों को एक ऐसी खाई में धकेल रही थी जहां सिर्फ पछतावा और शिकायतें थीं।
आज अगस्त का पहला रविवार है। युवा और बच्चे इस दिन को फ्रेंडशिप डे कह कर सेलिब्रेट करते हैं। ना जाने क्यों पर, आज सुनीता को ये चुप्पी मरघट सी लग रही थी। जैसे मातम पसरा हो घर में। सुनीता को लगने लगा था की चुप्पी से दोनो की बीच दूरियां बढ़ रही है। सुनीता ने हिम्मत की इस खामोशी को तोड़ने की। सुबह चाय के साथ उसने अनिल की तरफ फ्रेंडशिप बैंड देते हुए कहा -‘ऐ जी! हैप्पी फ्रेंडशिप डे!’
अनिल ने आश्चर्य से सुनीता को देखा। फिर होंठों को एक ओर दबाते हुए व्यंग में बोला- ‘साठ साल में सठिया गई हो क्या? क्यों बच्चों वाली हरकत करने लगी हो? इस उम्र में कोन फ्रेंडशिप डे कहता है’
आज सुनीता को यह बात तीर सी लगी। सुनीता ने आज घर में फैली खामोशी को ठीक करने की कोशिश की थी पर उसकी सभी आशा पर मानो अनिल ने पानी फेर दिया हो। आज कोई बहुत पुराना दर्द सुनीता की आंखों से बहने को तैयार था। अपने अंदर भावनाओं की सुनामी को आज उसने शब्द देने का निर्यण लिया। सुनीता आज मन में उठ रहे हर सवाल को बोल देना चाहती थी।
उसने बोलना शुरू किया- ‘तुम हंस रहे हो? क्यों? क्यों कि हमारी सोच हमें ऐसा कुछ करने कि इजाजत नहीं देती। है ना! पता है, जब हम लड़कियां शादी करती हैं तो अपने पति में हमें किसी भगवान की तलाश नहीं होती। हम बस इतना चाहते हैं कि हमारा जीवनसाथी हमारा दोस्त बने जिसके साथ हम बेहिचक कुछ भी शेयर कर सके।’
सुनीता बैंड को पैक करते हुई आगे बोली- ‘ढलती उम्र हो चली है हमारी… चाह नहीं कुछ पाने की, लेकिन कितने सालों से साथ तो रह रहे है लेकिन अपने अपने हाल में मस्त। शादी के इतने सालो में कभी भी फ्रेंडशिप डे पर हम घूमने नही गए। तो अब बुढ़ापा आने पर फ्रेंडशिप बैंड पर आपको हंसी तो आयेगी ही।
अनिल बीच में बोलने के लिए जैसे ही मुंह खोला, सुनीता तुरंत खुद पर हंसती हुई बोली-‘देखो ना… । मैं भी पागल हूं! एक आदमी से कितनी उम्मीदें लगा रखी हैं। यकीन मानो, उम्र के हर पड़ाव पर हमें एक ऐसे दोस्त की जरूरत होती है जो आपको सुने-समझे, आपको कभी अकेलेपन का अहसास न होने दे। शादी की सालगिरह हो या बच्चों का जन्मदिन। पारिवारिक कार्यक्रम हो या दफ्तरी प्रोग्राम। हमने एक कुशल दम्पती बन हर जगह अपनी पहचान बनाई है। लेकिन हम दोनों एक-दूसरे के लिए सिर्फ एक पति-पत्नी भर ही हैं? इस रिश्ते में इससे ज्यादा की मेरी उम्मीद क्या हास्यास्पद है? हम दोनों ने अपनी पूरी जिंदगी परिवार बनाने और उसको चलाने में निकाल दी। आज जब उम्र के आखिरी दौर में हैं तो क्यों ना हम खुल कर जीएं, जैसे एक दोस्त दूसरे दोस्त के साथ जीता है! क्यों ना हम एक बार, आखिरी बार ही सही एक दूसरे के दोस्त बन जाएं और इस घर में फैलते सन्नाटे को रोक ले?”
अनिल, सुनीता को सुन रहा था और समझने की कोशिश कर रहा था कि क्यों शादी के बाद इतने सालो में कभी उसने सुनीता का दोस्त बनने की कोशिश नही की? क्यों सिर्फ वह उसका पति बना रहा जब कि वह उसका सबसे अच्छा दोस्त बन सकता था।
सुनीता बोलते-बोलते हांफने लगी थी। अनिल चुप था। वह अपनी कुर्सी से उठा, बालकनी में लगे पीले गुलाब को तोड़ लाया और प्यार से बोला – ‘क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी?’
सुनीता के होंठों पर भी एक गुलाबी सी मुस्कान खिल गई।

नींद पूरी नहीं होने से हो सकती है यह 4 गंभीर बीमारिया 

Leave a Comment

error: Content is protected !!