पति पत्नी की लव स्टोरी। Husband wife love story in Hindi.

हिंदी लव स्टोरी – रेत का समुन्द्र 

रोहित और पुष्पा पहली बार जैसलमेर घूमने आए थे।रेजिस्थान के धोरों में जीप हिचकोले खाते हुए चल रही थी। पुष्पा कभी रोहित की बाहों में तो कभी रोहित की गोद में सिर रख रही थी। जब दोनो कॉलेज साथ पढ़ते थे तब से भारत के सुदूर पश्चिमी कोने में बसे जैसलमेर आने की इच्छा दोनो को थी। अपने घर को जाते संध्या के सूरज की किरणें जब रेत के कणों पर पड़ रही थी तो केसरिया आभा के आसमान की छाया उन रेत के कणों को भी केसरिया रंग में सराबोर कर रही थी।
रोहित और पुष्पा ने जैसलमेर घूमने का सपना साथ देखा था। समंदर के किनारे पले-बढे पुष्पा और रोहित ने जब कॉलेज में कॅरियर के सपने साथ देखे तब सपना ने कहा था, ‘रोहित ! मैं पहली बार रेत का समंदर तुम्हारे साथ देखना चाहती हूं।’
‘हां पुष्पा! मैं भी !’ और रोहित ने अपना हाथ पुष्पा के हाथो पर रख दिया।
दो साल पहले को दोनों विवाह सूत्र में बंधे तो आफिस के काम की वजह से और घर में व्यस्त रहने के कारण उनका सपना पूरा ना हो पाया । दो साल के बाद पुष्पा और रोहित ने जैसलमेर घूमने की योजना बनाई थी। दोनो जैसलमेर पहुंच कर रेत के समुंदर को पास से देखना चाहते थे। उन्होंने जैसलमेर घूमने के लिए एक टैक्सी कर ली थी।
सोनार दुर्ग की चहल-पहल वाले गलियारे में घूमते हुए पटवों की हवेली पर पहुंचे। पटवों की हवेली में चुनरी का दुपट्टा ओढ़ते हुए पुष्पा आईने में देखकर खुद पर ही इतरा गई। गडियाला झील में पानी देखकर तो पुष्पा दंग ही रह गई। ‘दूर-दूर तक फैला रेत का समुंदर कितना खूबसूरत लग रहा है न रोहित?’ पुष्पा ने रोहित की हथेली में अंगुलियां फंसाते हुए कहा था। रोहित ने भी पुष्पा की तरफ मुस्कुरा कर पुष्पा की बात पर सहमति जताई।
रेगिस्तान में दोपहर का समय घूमने का नहीं होता। इसलिए वो होटल लौट आए और आराम किया। शाम को कैम्प फायर, जीप सफारी में भी तो जाना था।
शाम हुई और जीप वाला होटल पहुंच गया उन्हें लेने। जीप रेत के बड़े-बड़े टीलों को चीरते हुए आगे बढ़ रही थी। एक बड़े से टीले पर जाकर जीप थमी ।
वहां रूपा अपने ऊंट के साथ खड़ा था। ऐसा लग रहा था कि वह इनके ही आने की प्रतीक्षा कर रहा हो।
पुष्पा और रोहित ऊंट की सबारी करना चाहते थे। दोनो रूपा के पास गए। रूपा ने दोनो को देखकर बोला ,” भास्कर नाम है इस ऊंट का। बड़ी अच्छी तरह सवाई करता है मेरा यह ऊठ मेमसाहब! मेमसाहब डरो मत, इस पैडल पर पैर रखो और बैठो। फिर जीजो-सा आपके पीछे बैठेंगे। जैसे ढोला-मारू बैठते थे।”
पुष्पा ने हिम्मत करके रूपा के कहे अनुसार पैडल पर पैर रखा और रोहित के कंधे का सहारा लेकर ऊंट पर बैठ गई। रोहित भी रूपा की सहायता से पुष्पा के पीछे बैठ गया था। भास्कर की पीठ नीली मोटी चादर से ढकी थी।
रूपा ने पुष्पा और रोहित को कहा, “जिज्जी और जीजो-सा आगे को झुको, भास्कर की नकेल हाथ में पकड़ो, झुके रहना जब तक भास्कर खड़ा ना हो।”
भास्कर ने अपने दोनों पिछले पैर उठाए, अगले पैरों पर भार दिया, पुष्पा और रोहित के मुंह से डर से आवाजें निकल रही थीं। एक ही झटके में अगले पैर उठे और भास्कर खड़ा हो गया। उसने मुंह आसमां की तरफ करके चिंघाड़ा और अपने अगले दोनों गद्देदार पैरों से कदम ताल करने लगा,जैसे नृत्य कर रहा हो। भास्कर बड़े प्यार से धीरे धीरे चल रहा था। रूपा ने अपने दोनों हाथों को आसमां की तरफ करते हुए जोड़ा और भास्कर के साथ चलने लगा । पुष्पा और रोहित का साथ-साथ रेत के समंदर देखने का सपना पूरा होने जा रहा था। भास्कर चल पड़ा था ठुमक ठुमक।

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