पति पत्नी की लव स्टोरी। Husband wife love story in Hindi. Love Story in Hindi

हिंदी लव स्टोरी – प्यार के रंग

कुसुम सूरज की तरफ मुंह किए खोई-सी बैठी थी। मानो सुबह की सतरंगी किरणों में अपने हिस्से के रंग तलाश रही हो। शादी के बाद कल उसका पहला जन्मदिन था। वह बाहर जाने लिए हल्के पीले रंग की साड़ी पहन बड़े चाव से तैयार हुई थी। ‘तुम इतने हल्के रंग मत पहना करो, इसमें तुम्हारा सांवला रंग और भी उभरकर दिखाई देता है। ये रंग गोरी चिट्टी लड़कियों के लिए बना है, तुम्हारे लिए नहीं।’ उसे देखते ही अमित ने तुनकते हुए कहा था।
अमित के शब्दों ने उसके दिल से भी ज्यादा उसके आत्मसम्मान पर चोट की थी। उसे अपने प्रश्न का जवाब मिल गया कि अमित उससे खिंचा-खिंचा सा क्यों रहता है। अपने कमरे में वह देर रात तक रोती रही। सुबह नींद खुलते ही अमित द्वारा दी चोट का घाव फिर से हरा हो गया।

‘रंग भी बंटते हैं कहीं?’ सोचते हुए फिर उसकी आंखें बहने लगीं। पंद्रह दिन पहले ही तो उनकी शादी हुई है। कुसुम का हर दिन मधुमास के रंग-बिरंगे फूलों सा खूबसूरत होना चाहिए, पर उसके जीवन में तो पतझड़ में जमीन पर गिरे सूखे पत्तों का सा रंग उतर आया था। अमित की मां की तबीयत ठीक नहीं रहती थी। इसलिए वे चाहती थीं जल्दी घर में बहू आ जाए। जिस दिन अमित अपने परिवार के साथ कुसुम को देखने पहली बार उसके घर गया था, वह सब्ज रंग के लिबास में बेहद खूबसूरत लग रही थी। पहली ही नजर में अमित को वह इतना भा गई कि उसने तुरंत शादी के लिए हां कर दी। सगाई होने के बाद के पहले मुहूर्त में ही उन दोनों की शादी हो गई। सगाई होने के बाद वह सीधे शादी वाले दिन ही कुसुम से मिल पाया। ससुराल में उसका पहला दिन था। पूरे दिन की रस्म अदायगी के बाद वह काफी थक गई थी। रात में नहाने के बाद वह जैसे ही बाथरूम से बाहर आई अमित भी कमरे में ही था। साज- सिंगार के बिना कुसुम उसे और दिनों से बहुत अलग लग रही थी। गोरे-चिट्टे अमित को कुसुम का रंग उसकी तुलना में काफी दबा हुआ लगा। अमित से कुसुम का जैसा रंग सोचा था वैसा रंग कुसुम का नही था।
कुसुम अमित द्वारा दिए ताने के बारे में सोच रही थी। तभी उसकी ननद आरती आ जाती है।
‘भाभी सारी रात भैया के साथ जन्मदिन मनाते रहे क्या?’ ननद आरती ने उसकी लाल आंखों को देख छेड़ते हुए कहा। उसकी आवाज ने कुसुम की विचार श्रंखला को विराम दिया। वह सिर्फ मुस्कुरा कर रह गयी। कहती भी क्या उसकी यह आंखे रात भर जागने से नही, रात भर रोने से लाल है। जन्मदिन के अगले दिन होली थी। शाम को कुसुम शादी की पहली होली मनाने अपने भैया के साथ अपने मायके चली गयी।

कुसुम के बिना अमित को अपना कमरा बहुत सुना सुना लग रहा था। भले ही उनके बीच ज्यादा बाते नही होती थी पर अमित को उनकी चूड़ियों की खनक, उसकी महक भाने लगी थी। वह कुछ देर तक तो टीवी के चैंनल बदलता रहा पर उसका टीवी में नही मन नही लगा तो सो गया। सुबह उठा तो वही छींक का दौर चालू हो गया। जो पहले रोज ही तेज पंखे या एसी में पूरी रात सो जाने पर हो जाता था। पर कमाल की बात है, इन पंद्रह दिनों में एक भी बार ऐसा नहीं हुआ था। वह सुबह उठता तो एसी मंदा होता और तन कंबल से ढका होता। कुसुम के आते ही घर के साथ- साथ मां के चेहरे की भी रंगत बदल गई थी। इन सब के पीछे की वजह वह जादूगरनी ही है? उसकी उपेक्षा के बाद भी वह बिना किसी शिकायत के अपना हर फर्ज पूरी तरह निभाती रही।

जब उसे कुसुम की बहुत याद आने लगी तो वह शादी का एलबम लेकर बैठ गया। हर फोटो में कुसुम का आत्मविश्वास से चमकता चेहरा बेहद खूबसूरत लग रहा था। उसे महसूस हुआ सिर्फ रंग ही किसी की खूबसूरती का पैमाना नहीं है। मोर हमें अपनी ओर आकर्षित करता है तो कोयल का आकर्षण भी कुछ कम नहीं। खूबसूरती तो कितने अलग-अलग रूप-रंगों में बसी है, बस जरूरत है मन की आंखीं से देखने की। अमित को एलर्जी का गोली ढूंढने पर भी नहीं मिली तो उसका मन हुआ कुसुम को फोन कर पूछ लूं, पर वह हिम्मत नहीं जुटा पाया। मां ने उसे बताया कि कुसुम के पापा उसे होली मनाने के लिए बुला रहे हैं तो उसने एक ही बार में हां कर दी।
होली की रात जब वह कुसुम के घर गया, वह कमरे में खिड़की पर खड़ी बाहर की ओर देख रही थी। अमित ने पीछे से उसके गालों पर गुलाल लगा दिया। कुसुम हैरानी से उसका चेहरा देखने लगी। उसकी आंखों में आंसू आ गए पर इस बार वो खुशी के आंसू थे। अमित ने उसे गले से लगा लिया। बाहर कुसुम का चांद मुस्कुराने लगा और अंदर कुसुम। उसे अपने हिस्से के खोए हुए रंग जो मिल गए थे।

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