पति पत्नी की लव स्टोरी। Husband wife love story in Hindi. Love Story in Hindi

हिंदी लव स्टोरी – सच्चा प्यार।

सुबह का ऐसा स्वागत पूजा ने आज तक नहीं किया था। वह जल्दी उठी, नहा कर प्रतीक के पसंद की लाल साड़ी पहनी और बालकनी के गमले में से एक फूल तोड़ अपने बालों में सजाकर प्रतीक के उठने का इंतजार करने लगी, क्योंकि आज मौका है वैलेंटाइन डे का और वे लोग इस अवसर पर गोवा जा रहे हैं। पूजा की नजर घड़ी की तरफ गई जो आठ बजा रही थी और प्रतीक अभी तक गहरी नींद में सोया हुआ है।
‘प्रतीक उठो नहीं तो ऑफिस के लिए देर हो जाएगी।’ पूजा ने खिड़की के पर्दों को खोलते हुए कहा।
चमकीली सी धूप प्रतीक के चेहरे पर बिखर गई और वो मिचमिचाई-निदियाई आंखों से कुछ देर बालकनी में खिले फूलों को तकता रहा। फिर जैसे उसे याद आया आज वेलेंटाइन डे है, वह एक झटके से उठा और पूजा को गले लगाते हुए वैलेंटाइन डे विश किया और बाथरूम में घुस गया।

पूजा प्रतीक की हसी, उदासी और उसकी नजरों को अच्छे से पहचानती है। आज प्रतीक की आंखो में एक उदासी घुली हुई थी। शायद थकान से ऐसा लग रहा होगा। सोचते हुए वह बेड की चादर ठीक करने लगी। तभी प्रतीक के तकिए के नीचे से उसे एक कागज मिला।
प्रतीक की परीक्षा का फॉर्म था जिसमें फीस भरने की अंतिम तिथि इस हफ्ते में ही थी। उसे प्रतीक की उदासी का कारण समझ में आ गया था। वह अतीत में खो गई। साल भर पहले उन दोनों की शादी हुई थी। प्रतीक ने जिस इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक किया, उसी कॉलेज में पूजा के पिता HOD हैं। उन्हें पूरा विश्वास था कि एक दिन प्रतीक बहुत काबिल इंजीनियर बनेगा इसलिए यह जानते हुए भी कि प्रतीक बहुत साधारण परिवार से है उन्होंने अपनी बेटी का हाथ उसके हाथ में दे दिया था। एमटेक करने के लिए प्रतीक ने दिल्ली के इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया था। प्रतीक के पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी और प्रतीक इतना स्वाभिमानी है कि वो पूजा के पापा से किसी तरह की मदद नहीं लेना चाहता था। वह सुबह इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई करता और शाम को एक प्राइवेट कंपनी में पार्ट टाइम जॉब करता। प्रतीक ने अपनी विशलिस्ट में से बाइक, नया लैपटॉप सबसे नीचे रखा पर घर में वॉशिंग मशीन, डिशवॉशर से लेकर टीवी – फ्रिज तक हर सामान जुटाया जिससे पूजा को किसी चीज की तकलीफ ना हो। उस समय दोनों ने आपसी सहमति से हनीमून पर नहीं जाने का फैसला लिया था। तब प्रतीक ने वादा किया था कि वैलेंटाइंस डे गोवा में मनाएंगे। प्रतीक नहाकर बाहर निकला तो पूजा वर्तमान में लौटी और उसके लिए कॉफी और ग्रिल सैंडविच लेकर कमरे में ही आ गई। दोनो से साथ में नाश्ता किया।
‘शाम को गोवा के लिए निकलना है, तुम तैयार रहना।’ कहते हुए प्रतीक घर से निकल गया।
शाम को टैक्सी कर दोनों गोवा के लिए निकल गए। थोड़ी ही दूर एक मेला लगा हुआ था। बस बस भैया गाड़ी यहीं रोक दो।’ गाड़ी जब मेले में से गुजर रही थी तब पूजा ने अचानक टैक्सी ड्राइवर से कहा। प्रतीक प्रश्नवाचक निगाहों से पूजा की तरफ़ देखने लगा।
‘मैं इस महामारी में गोवा जाकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। तुम तो जानते हो ना मुझे बीमारी से कितना डर लगता है।’ हम यहीं वैलेंटाइन डे मना लेंगे।’
प्रतीक कुछ कहता उससे पहले वो उसका हाथ खींचती हुई उसे गुब्बारे वाले के पास ले गई। छोटी बच्ची की तरह लाल रंग के दिल के गुब्बारों का एक गुच्छा अपने हाथों में थामे वह पानी पूड़ी की लारी पर जाकर खड़ी हो गई और दो प्लेट पानी पूड़ी ऑर्डर कर दी। पूजा बेसब्री से एक के बाद दूसरी पानी पूड़ी खाने लगी। इसके बाद दोनों ने एक ही स्ट्रॉ से कोल्डड्रिंक पी।
शाम का धुंधलका उतर आया था। दोनों वही मेले में घूम रहे थे। पूजा बहुत खुश नजर आ रही थी। उसके चेहरे की खुशी देख प्रतीक की खुशी दुगुनी हो गई थी। इससे पहले प्रतीक जब भी पूजा को बाहर डिनर के लिए चलने को कहता वह पांच सितारा होटल से नीचे तो पैर ही नहीं रखना चाहती थी। इसलिए चाहकर भी वह उसे डिनर पर नहीं ले जा पाता था।
‘आई एम सॉरी पूजा! मुझे पता है तुमने मेरी फीस के लिए गोवा का प्लान कैंसिल किया है।’
‘सॉरी तो मुझे तुमसे कहना चाहिए तुम आज तक मेरी हर नादानी को नजरअन्दाज कर मेरी हर इच्छा पूरी करते रहे। पर अब मैं भी समझ गई हूं कि प्यार करने वाले अपने साथी की सारी कमियों और अधूरेपन के साथ उसके सुख-दुख भी बांटा करते हैं।’ प्रतीक एकटक पूजा को देखने लगा। फिर उसे खयाल आया कि पूजा ने आज वही चटक लाल साड़ी पहनी है जो उसने पूजा को तोहफे में दी थी जब वे पहली बार मिले थे। बाद में उसे पता चला था कि पूजा को लाल रंग पसंद नहीं। उसने तो कब से प्रतीक की खुशी, उसकी पसंद को अपनी खुशी और पसंद बना लिया था। आज पूजा का प्यार भी उस मुकाम पर पहुंच गया था जब प्रतीक की हर पसंद, संघर्ष, हर सपना पूजा का अपना बन गया था।

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