माँ पर कहानि। पारिवारिक कहानिया। Maa Story in Hindi. 

माँ पर कहानी – बेटे की शादी का डर। 

Maa Story in Hindi: मंदिर से आकर सपना जी धम्म से सोफे पर पसर गई तो अशोक जी ने धीमे स्वर में पूछा, ‘क्या बात है भाग्यवान? मूड क्यों खराब है तुम्हारा? ऐसे मुंह लटकाए हुए क्यों पड़ी हो ‘
‘पता नहीं, लोगों को क्या पड़ी है, जो बार-बार हमारे बेटे किशन की शादी के बारे में पूछते रहते हैं। अरे नहीं करनी मुझे किशन की शादी। शादी के बाद वो भी हमसे अलग हो जाएगा। क्या बिना शादी के नही रह सकता कोई?’ सपना जी गुस्से में बोली।
‘तुम स्वार्थी हो गई हो किशन की मां। अपने स्वार्थ के लिए अपने बेटे को सदा के ही लिए कुंवारा रखना चाहती हो तुम। बिना शादी के क्या वह सारी उम्र रह सकता है? ‘ अशोक जी गंभीर स्वर में बोले।
‘आपको जो समझना है, समझिए। में अपने किशन को कभी हमसे अलग नही होने देना चाहती’ फिर दोनों पति-पत्नी में बहस होने लगी,
तभी किशन आ गया तो दोनों पति-पत्नी ऐसे हंस-हंसकर बातें करने लगे, जैसे उनके बीच कोई हास-परिहास की बात चल रही हो। उधर अपनी मां के विचारों से अनभिज्ञ किशन अपनी दोस्त कोमल से प्यार कर बैठा। एक दिन सकुचाते- सकुचाते उसने अपने दिल की बात अपनी मां से कह ही दी। यह सुन सपना जी को जैसे झटका-सा लगा। वे वहीं जड़वत खड़ी रह गई और सोचने लगी किशन ने अगर कोमल से शादी कर ली तो कही शादी के बाद किशन उनसे दूर ना हो जाए।
‘क्या सोच रही हो मां?” किशन ने मां को झकझोरते हुए पूछा।

‘कुछ नहीं बेटा, शादी की अभी इतनी जल्दी क्या है? छब्बीस की ही तो अभी उम्र है तुम्हारी। अभी तो तुम अपना कैरियर बनाओ। शादी के लिए तो पूरी उम्र बची है।’ सपना जी अपनी भावनाओं को छुपाते हुए बोली।
बस उसी दिन से किशन उदास रहने लगा। सपना जी अपने बेटे की उदासी का कारण अच्छी तरह जानती थी, पर वे अपनी शंकाओं से मुक्त भी तो नहीं हो पा रही थी। उनको लगता था शादी के बाद बेटे मां से अलग हो जाते है क्योंकि आज कल की पत्नी शादी के बाद अपने पति को मां बाप से अलग कर देती है। अपने बेटे से अलग होने का डर उनको चेन से जीने नही देता था।
एक दिन वे अपने बेटे किशन के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली, ‘तू हमेशा बच्चा ही रहता तो कितना अच्छा होता, पर अब तू बड़ा हो गया है। अब तुझे मां की नहीं, बल्कि एक जीवन संगिनी की जरूरत है, लेकिन…।’
सपना जी ने वाक्य अधूरा ही छोड़ दिया। उनकी आवाज बीच में ही रुंध गई और आंखों से दो मोटे-मोटे आंसू टपक पड़े। किशन अपनी मां के आंसुओं का मतलब नहीं समझ पाया, इसलिए आश्चर्य एवं प्रश्नात्मक दृष्टियों से मां को निहारने लगा, तभी अशोक जी ने आकर बात संभाली, अरे बेटा, तुम्हारी शादी के बाद कहीं मां डरती है कि तुम्हारा प्यार बंट न जाए। मां और पत्नी के बीच में।’
‘ओफ्फो मां, तुम भी न, कुछ भी सोचती रहती हो। ऐसा नहीं है।’ किशन हंसते हुए बोला।
किशन के ऑफिस जाने के बाद अशोक जी, सपना जी को समझाने के इरादे से बोले, ‘देखो किशन की मां, हम मां-बाप की बेटे के प्रति अपना फर्ज निभाना चाहिए। अब आगे चलकर बेटा-बहू हमें पूछे या न पूछे, यह उनकी मर्जी। अपने स्वार्थ में अंधे होकर हम अपने बच्चों की खुशियों को दांव पर तो नहीं लगा सकते न।’ अशोक जी थोड़ी देर रुके और फिर बोले, ‘अच्छा तुम बताओ, तुम्हें ज्यादा खुशी किस बात में होगी जब किशन कुंवारा रहकर, दुखी मन से हम लोगों की सेवा करेगा या फिर अपनी जीवनसाथी के साथ, हमसे अलग रहकर खुशहाल जिंदगी जिएगा?”

‘आप मुझे माफ कर दीजिए, मैं स्वार्थी हो गई थी। मेरे लिए मेरे बेटे की खुशी से बढ़कर कुछ भी नहीं है। में अपने स्वार्थ के कारण अपने बेटे को खुशी को भी नही देख पा रही थी। ‘ अब सपना जी को अपने पति की बात अच्छे-से समझ में आ गई थी। वह समझ गई थी, उनकी पहले वाली सोच सही नहीं है। बिना शादी के जीवन गुजारना बहुत मुश्किल होता हैं। अपने स्वार्थ के लिए वो बेटे को जिंदगी खराब नही कर सकती।
दूसरे ही दिन सपना जी अपना घुटना लेकर बैठ गई।
‘क्या हुआ मां? घुटने में दर्द हो रहा है क्या?’ किशन पूछ बैठा।
‘हां रे, बहुत दर्द हो रहा है। अब मुझसे ज्यादा काम नहीं होता। ऐसा कर, तू शादी कर ले। बहु आयेगी तो अब वोही घर का काम संभालेगी। मुझसे अब घर का काम नहीं होता’ सपना जी दर्द से कराहती हुई बोली।
‘क्या मां, कभी तो तुम कुछ बोलती हो तो कभी कुछ।’ किशन सहज स्वर में बोला।
अशोक जी अपनी पत्नी के बहाने को अच्छी तरह समझ रहे थे, इसलिए तपाक से बीच में बोल पड़े, ‘अब तुम्हारी मां सठिया गई है। बहू आ जाएगी तो तुम्हारी मां को सहारा मिल
जाएगा। अकेले अब इससे काम भी नही होता।’
‘ऐसी ही बात है तो मैं कल ही लड़की वालों को घर पर बुला लेता हूं।’ किशन खुशी से चहकते हुए बोला तो सपना जी की आंखें भर आईं। इस बार उनकी आंखों में स्नेह के आंसू थे।
इस माहौल के बीच अशोक जी ने राहत की सांस ली।

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