More than 100 Precious words of great men on Education.
Mahaapurushon ke Anmol Vachan on Education in Hindi
प्रकृति की अपेक्षा अध्ययन के द्वारा अधिक मनुष्य महान् बने हैं।
– सिसरो
दूसरों के अनुभवों से लाभ उठाने वाला बुद्धिमान है।
– जवाहर लाल नेहरू
अज्ञान के अतिरिक्त आत्मा के किसी रोग का मुझे पता नहीं।
– बेन जानसन
स्वाध्याय का उद्देश्य होना चाहिये हमारी दिमागी जड़ता को दूर करना । जड़ता का अर्थ है मृत्यु और गति का अर्थ है जीवन ।
– यशपाल
शिक्षा जीवन है न कि जीवन के लिए तैयारी ।
-श्यूई
जिस समाज में बढ़े गुरु न हों, उस समाज में गुरु होते ही नहीं हैं। विद्यार्थी व गुरु के बीच उम्र व ज्ञान का अधिक अन्तर होना चाहिए तभी मधुर सम्बन्ध स्थापित हो सकते हैं।
– रजनीश
विवेक के स्थान पर विश्वास की शिक्षा देना इस भेड़ तन्त्र को मजबूत करने की घृणित चाल है।
– रजनीश
शिक्षा मानवात्मा में अन्र्तानहित है उसे अभिव्यक्त करने का माध्यम व उपाय है।
– रजनीश
उन्नयन के लिए प्रयत्न करना पड़ेगा, जड़ता अपने आप आ जाती है। जीवन लाना पड़ता है, मृत्यु अपने आप आती है। मनुष्य यदि कुछ न करे तो वह पशु से भी पतित हो जाता है।
– रजनीश
तानाशाही बिना शिक्षा के सफल हो सकती है परन्तु लोक तंत्र तो शिक्षा के आधार पर ही कायम रह सकता है।
– विविध
जो सीखता है मगर विद्या का उपयोग नहीं करता। वह किताबों से लदा भारवाहक पशु है।
– शेखसादी
वही विद्या है जो मुक्ति के लिए हो ।
– विष्णु पुराण
विद्या कामधेनु गाय है।
– चाणक्य
जिसके पास विद्या रूपी नेत्र नहीं, वह अन्धे के समान है।
– हितोपदेश
शिक्षा का उद्देश्य यह भी है कि व्यक्ति अन्याय का विरोध करे। यदि कोई व्यक्ति यों ही अन्याय होने देता है तो उस से यह प्रकट होता है कि वह व्यक्ति मुर्दा है और उसमें न्याय के लिए लड़ने की शक्ति नहीं है।
– वीरेन्द्र सिंह पलियाल
विद्या पुस्तक से नहीं मिलती, वरन् जीवन रूपी पुस्तक के अध्ययन से मिलती है, अनुभव से प्राप्त होती है ।
– वीरेन्द्र सिंह पलियाल
जो व्यक्ति समय का उपयोग करता है वह शिक्षित व्यक्ति है।
– लालजी राम
शिक्षा केवल लेने व देने की वस्तु नहीं है, वरन् वह क्रिया है जिसके द्वारा स्वर्ग को धरती पर उतार सकते हैं।
– लालजी राम
अन्ध विश्वासी होना एकांगी ज्ञान का सूचक है।
– विविध
अन्धकार की अपनी सत्ता नहीं है। वह प्रकाश का अभाव मात्र है।
– विविध
मन के लिए अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है जितनी देह को व्यायाम की ।
– जोजफ एडीसन
धूर्त अध्ययन का तिरस्कार करते हैं, सामान्य जन उसकी प्रशंसा करते हैं और ज्ञानी उसका उपभोग करते हैं।
– बेकन
बच्चे प्रेम से बदलते हैं, जबरदस्ती से नहीं। बच्चों को अच्छे के लिए शिक्षित किया जाए, बुरा अपने आप चला जाएगा ।
– रजनीश
गलत आदमी गलत शिक्षा के परिणाम का फल है।
– रजनीश
महत्वाकांक्षा का विष पिलाने से कभी स्वस्थ मस्तिष्क नहीं बन सकता। यह धुन एक पागलपन है जिसे रोके बिना स्वस्थ व्यक्तित्व का निर्माण असम्भव है।
– रजनीश
विचार संग्रह, ज्ञान नहीं स्मृति है। स्मृति ज्ञान नहीं है।
– रजनीश
जिस मनुष्य का मन काम में नहीं लगता उसका मन उत्पात में अवश्य लगेगा। मन उस भूत के समान है जो बिना काम के क्षण भर भी नहीं रह सकता ।
– वीरेन्द्र सिंह पलियाल
दुःखी बालक ही उपद्रवी होता है, अर्थात् वह दूसरों को भी दुःखी बनाने की चेष्टा करता है।
– लालजी राम
अध्यापन से बढ़ कर उत्तम कार्य नहीं और इससे बढ़ कर कोई निकृष्ट व्यापार नहीं ।
– अज्ञात
बहुधा देखा जाता है कि बालकपन में जो बालक जितनाः हठी और उपद्रवी होता है बाद को वह उतना ही गम्भीर, शान्त एवं निर्भीक निकलता है।
– स्वामी
ट्यूशन में कोई आकर्षण नहीं है। वह केवल पेट की ज्वाला है जो बेचारे अध्यापकों और दूसरे गरीब आदमियों को घर-घर जाकर भीख माँगने के लिए विवश कर देती है।
– विविध
मूर्खों की संगति करने वाला मूर्ख ही हो जाता है।
– जातक
लक्ष्मी जिसे अपना प्रिय पात्र बना लेती है उसे मूर्ख बना- कर ही छोड़ती है।
– बेकन
एक अकेला मूर्ख भी ऐसा प्रश्न कर सकता है, जिसका चालीस बुद्धिमान लोग भी उत्तर नहीं दे सकते ।
– फ्रांसीसी कहावत
बुद्धिमान अपना विचार बदल देते हैं, मूर्ख कभी नहीं बदलते ।
– कहावत
एक शिक्षित मूर्ख एक अज्ञानी से कहीं अधिक मूर्ख होता है।
– मोलियर
शर्करा वाही गर्दभ केवल शक्कर ढोता है उसे खाने का अधिकार उसको नहीं है, वैसे ही बुद्धिजीवी बुद्धि बेचते हैं, उस पर अधिकार नहीं रखते ।
– विविध
ज्ञान सत्य नहीं है । सत्य है दृष्टि ।
– विष्णु प्रभाकर
अज्ञानी होने से भिखारी होना अच्छा; क्योंकि भिखारी को तो केवल धन चाहिए, मगर अज्ञानी को इन्सानियत चाहिए ।
– एरिस्टियस
ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं ।
– संस्कृत सूक्ति
सग्रंथ कभी नष्ट नहीं होते ।
– मिल्टन
सदियों का अन्धकार उगते सूरज को ढक नहीं सकता ।
– तिलोपा
बालकों पर प्रेम की भाँति द्वेष का असर भी अधिक होता है।
– प्रेमचन्द
बच्चे जनना कठिन काम अवश्य है परन्तु मनुष्य को मनुष्यता सिखाना उससे भी कठिन है।
– मेक्सिम गोर्की
आज अध्ययन करना सभी जानते हैं पर क्या अध्ययन करना चाहिये यह कोई नहीं जानता ।
– जार्ज बर्नार्ड शा
जितना ही हम अध्ययन करते हैं उतना ही हमको अपने अज्ञान का आभास होता जाता है।
-शैली
जीवन को सफल बनाने में शिक्षा की जरूरत है, डिग्री की नहीं।
– प्रेमचन्द
ज्ञानी विवेक से सीखते हैं, साधारण मनुष्य अनुभव से और मूर्ख आवश्यकता से ।
– सिसरो
जो मानव एक पाठशाला खोलता है, वह विश्व का एक बन्दीगृह बन्द कर देता है।
– विक्टर ह्यूगो
संत सौ युगों का शिक्षक होता है।
– एमर्सन
पुस्तकें वे दर्पण है जिनमें सन्तों तथा वीरों के मस्तिष्क हमारे लिए प्रतिबिम्बित होते हैं।
– गिल्बन
अच्छी पुस्तकों के पास होने से हमें अपने भले मित्रों के साथ न रहने की कमी नहीं खटकती ।
– महात्मा गाँधी
मैं नरक में भी उत्तम पुस्तकों का स्वागत करूँगा, क्योंकि इनमें वह शक्ति है कि जहाँ ये होंगी वहाँ आप ही स्वर्ग बन जाएगा ।
– लोकमान्य तिलक
अच्छी पुस्तक एक महान आत्मा का अमूल्य जीवन तत्व है।
-मिल्टन
कुछ पुस्तकें मात्र चखने योग्य होती हैं, और कुछ निगल डालने योग्य । कुछ हो ऐसी होती हैं जिन्हें चबाया या पचाया जा सकता है।
-बेकन
मैंने समय को नष्ट किया और अब समय मुझे नष्ट कर रहा है।
– शेक्सपीयर
बुद्धिमान को इशारा और मूर्ख को तमाचा काफी है।
– हिज्जू कहावत
बुद्धिमान वह नहीं जो बहुत सी बातें जानता है, अपितु वह है जो काम की बातें अधिक जानता है ।
– वीरेन्द्र सिंह पलियाल
शिक्षा ईंट और चूने से बने मकान की भाँति नहीं है जिसका नक्शा मिस्त्री पहले से ही तैयार रखता है। शिक्षा ही वृक्ष की भाँति है जो अपने जीवन की लय के साथ ताल मिला कर उसके अनुरूप विकसित होता है।
– रवीन्द्र नाथ टैगोर
अध्ययन आनन्द का, अलंकरण का और योग्यता का काम करता है।
– बेकन
वह शिक्षक नहीं जो सान्त्वना दे। शिक्षक वह है जो सत्य दे ।
– रजनीश
अज्ञान लाने के लिए प्रयत्न नहीं करना पड़ता, निवृत्ति के लिए ही प्रयत्न किया जाता है।
– अखण्डानन्द
भोजन तथा वस्त्र दान से ज्ञान का दान श्रेष्ठ है तथा इससे भी श्रेष्ठ है आध्यात्मिक दान ।
– विवेकानन्द
उसी पत्थर से दुबारा टकराना मूर्खता है।
– विवेकानन
मुर्खता सब कर लेगी, लेकिन बुद्धि का आदर कभी नहीं करेगी।
– गेटे
एक की मूर्खता से दूसरे का भाग्य बनता है।
– बेकन
भूखों मरना विवशता है और खाकर मरना मूर्खता ।
– आचार्य तुलसी
जो पुस्तक अधिक से अधिक सोचने की प्ररणा दे, वही सबसे बड़ी सहायक है।
– थ्योडोर पार्कर
पुस्तकों का संकलन ही आज के युग का वास्तविक विद्यालय है।
– कार्लाइल
मानव का सच्चा जीवन-साथी विद्या ही है, जिसके कारण वह विद्वान् कहलाता है।
– स्वामी दयानन्द
सच्ची विद्या उस समय आरम्भ होती है जब मनुष्य सब बाहरी सहारों को छोड़कर अपनी भीतरी अनन्तता की ओर ध्यान देता है।
– स्वामी रामतीर्थ
युवकों की शिक्षा पर ही राज्यों का भाग्य आधारित है।
– अरस्तू
संसार में जितने प्रकार की प्राप्तियाँ हैं, शिक्षा सबसे बढ़कर है।
– निराला
मनुष्य को चाहिए कि यदि दीवार पर भी उपदेश लिखा हुआ मिले तो उसे ग्रहण करे ।
-सादी
चींटी से अच्छा कोई उपदेश नहीं दे सकता, और वह मौन रहती है।
– फ्रेंकलिन
नग्न सत्य को प्रौढ़ मस्तिष्क ही स्वीकार कर सकते हैं।
– रजनीश
दुनिया भर का ज्ञान इकट्ठा कर लेने से वह पंडित बन सकता है, ज्ञानी नहीं ।
– रजनीश
जो अपने को समझदार समझता है, उसने समझ के द्वार बन्द कर रखे हैं ।
– रजनीश
अच्छा ज्ञान कठिनाई से आता है तथा समझना और भी कठिन है। बच्चा हीरे की परख नहीं कर सकता। वह लाल सफेद ही चुन सकता है ।
– विविध
शिक्षक जानकारी मात्र देता है, गुरु अनुभव देता है ।
-रजनीश
गलत शिक्षा से हो गलत आदमी पैदा हो रहा है। शिक्षा के अनुकूल ही परिणाम आ रहे हैं। गलत शिक्षा से अच्छे की अपेक्षा की ही नहीं जा सकती। आजादी के बाद की शिक्षा से तैयार पीढ़ी आज देश को चला रही है।
– विविध
महत्वाकांक्षा रोग है जो हीन ग्रंथी वालों को ही पकड़ता है।
– रजनीश
सबसे असाध्य रोग मूर्खता है।
– पुर्तगाली कहावत
विद्वता अच्छे दिनों में आभूषण है, विपत्ति में सहायक एवं बुढ़ापे में संचित सामग्री है।
– अरस्तू
बिना विवेक का अनुशासन विष है ।
-रजनीश
माता के समान दूसरा कोई गुरु नहीं है।
– महाभारत
अज्ञान के अतिरिक्त आत्मा के और किसी रोग का मुझे पता नहीं ।
– बेन जॉन्सन
बिना अनुभव के कोरा शाब्दिक ज्ञान अन्धा है।
– विवेकानन्द
अनुभव प्राप्ति के लिए बहुत मूल्य चुकाना पड़ता है।
– कार्लाइल
यदि आदमी सीखना चाहे तो हर एक भूल उसे शिक्षा दे सकती है।
– गाँधी
पुस्तक प्रेमी सबसे अधिक धनी और सुखी होते हैं।
– बनारसीदास चतुर्वेदी
बुरी पुस्तकों का पढ़ना जहर पीने के समान है।
-अगस्टाईन
पुस्तक से रहित कमरा आत्मा से रहित शरीर के समान है।
– सिसरो
सबसे बड़ा असाध्य रोग मूर्खता है।
– पुर्तगाली कहावत
मूर्ख लोग जो कुछ पढ़ते हैं उससे अपना अहित करते हैं और जो कुछ वे लिखते हैं उससे दूसरों का अहित करते हैं।
– रस्किन
वाद विवाद में हठ और गर्मी मुर्खता के पक्के प्रमाण है।
– मान्टेन
लेखक की लेखिनी उसके मस्तिष्क की जिह्वा है।
– सर्वेटिस
विद्या का अन्तिम लक्ष्य चरित्र निर्माण होना चाहिए ।
– महात्मा गाँधी
परमात्मा को प्राप्त कर लेने वाली विद्या ही वास्तविक विद्या है।
– स्वामी विवेकानन्द
जिसे पुस्तक पढ़ने का शौक है, वह सब जगह सुखी रहता है।
-महात्मा गाँधी
अशिक्षित रहने से पैदा न होना अच्छा है, क्योंकि अज्ञान सब बुराइयों का मूल है।
-नेपोलियन बोनापार्ट