पंचतंत्र की कहानी – बड़ो का तजुर्बा
Panchtantra ki kahaniya. Panchtantra Story in Hindi
एक बहुत बड़ा विशाल पेड था। उस पर कौओ का झुंड रहते थे। उनमें एक बहुत बुजुर्ग कौवा था, बुद्धिमान और बहुत दूरदर्शी। सब उसका आदर करते ‘चाचा’ कहकर बुलाते थे।
एक दिन उसने एक नन्ही-सी बेल को पेड के तने पर बहुत नीचे लिपटते पाया।
चाचा ने दूसरे कौओ को बुलाकर कहा “देखो, इस बेल को नष्ट कर दो। एक दिन यह बेल हम सबको मौत के मुंह में ले जाएगी।”
एक युवा कौवा हंसते हुए बोला “चाचा, यह छोटी-सी बेल हमें कैसे मौत के मुंह में ले जाएगी?”
बुजुर्ग कौवा ने समझाया “आज यह तुम्हें छोटी-सी लग रही हैं। धीरे-धीरे यह पेड के सारे तने को लिपटकर ऊपर तक आएगी। फिर बेल का तना मोटा होने लगेगा और पेड से चिपक जाएगा, तब नीचे से ऊपर तक पेड पर चढने के लिए सीढी बन जाएगी। कोई भी शिकारी सीढी के सहारे चढकर हम तक पहुंच जाएगा और हम मारे जाएंगे।”
दूसरे कौवा को यकीन न आया “एक छोटी सी बेल कैसे सीढी बनेगी?”
एक कौवा बोला “चाचा, तु तो एक छोटी-सी बेल को खींचकर ज्यादा ही लम्बा कर रहा है।”
एक कौवा बडबडाया “यह चाचा खुद को समझदार दिखाने के लिए मनगढ़ंत कहानी बना रहा हैं।’
इस प्रकार किसी दूसरे कौओं ने चाचा की बात को गंभीरता से नहीं लिया। उनको यह नही पता था कि चाचा कितनी दूर का सोच रहे है। समय बीतता रहा। बेल लिपटते- लिपटटे ऊपर शाखों तक पहुंच गई। बेल का तना मोटा होना शुरु हुआ और सचमुच ही पेड के तने पर सीढी बन गई। जिस पर आसानी से चढा जा सकता था।अब सभी को चाचा की बात की सच्चाई सामने नजर आने लगी । पर अब कुछ नहीं किया जा सकता था क्योंकि बेल इतनी मजबूत हो गई थी कि उसे नष्ट करना कौओ के बस की बात नहीं थी। एक दिन जब सभी कौवे दाना चुगने बाहर गए हुए थे तब एक शिकारी वहाँ आया। पेड पर बनी सीढी को देखते ही उसने पेड पर चढकर सभी कौओ के घोंसले देखे और वहाँ जाल बिछाया और चला गया।
शाम को सारे कौवे लौट आए पेड पर उतरे तो शिकारी के जाल में बुरी तरह फंस गए। जब वे जाल में फंस गए और फडफडाने लगे, तब उन्हें चाचा की बुद्धिमानी और दूरदर्शिता का पता लगा। सब चाचा की बात न मानने के लिए लज्जित थे और अपने आपको कोस रहे थे। चाचा सबकी यह हालत देख कर दुखी था पर अब काफी देर हो चुकी थी।चाचा चुप बैठा था और इस मुसीबत से निकलने का उपाय सोच रहा था।
एक कौवे ने हिम्मत करके कहा “चाचा, हम मूर्ख हैं, लेकिन अब हमसे मुंह मत फेरो ।’
दूसरा कौवा बोला “इस संकट से निकालने की तरकीब आप ही हमें बता सकते हैं। आगे से हम आपकी सभी बात मानेंगे।” सभी कौओ ने भी चाचा कौवे से इस मुश्किल से निकालने के लिए प्रार्थना की।
तब चाचा ने उन्हें बताया “मेरी बात ध्यान से सुनो। सुबह जब शिकारी आएगा, तब सभी मुर्दा होने का नाटक करना । शिकारी हम सभी को मुर्दा समझकर जाल से निकाल कर जमीन पर रखता जाएगा। वहां भी सभी मरे समान पडे रहना। जैसे ही वह अन्तिम कौवे को नीचे रखेगा, मैं सीटी बजाऊंगा। मेरी सीटी सुनते ही सब कौवे उड जाना।”
सभी ने ऐसा ही करने के लिए हामी भरी।
सुबह शिकारी आया। कौओ ने वैसा ही किया, जैसा चाचा ने समझाया था। सचमुच शिकारी कौओ को मुर्दा समझकर जमीन पर पटकता गया। सीटी की आवाज के साथ ही सारे कौवे उड गए। शिकारी अवाक होकर देखता रह गया।
शिक्षा – इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि बुद्धिमानों की सलाह गंभीरता से लेनी चाहिए और बड़ो का आदर करना चाहिये।
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