पारिवारिक कहानी- घर का रिनोवेशन। Parivarik story in Hindi. Family story in Hindi. Parivarik kahani. 

आज फिर रोज की तरह डिनर के बाद डाइनिंग टेबल पर अमित जी, नेहा जी अपने बेटे-बहू गोपाल और खुशी के साथ तो थे। आज सब के चेहरे पर खामोशी छाई थी। साथ बैठकर खाना मात्र एक औपचारिकता बनकर रह गया था। सन्नाटा पसरा था। तनावपूर्ण माहौल में खुशी ने चुप्पी तोड़ते हुए पूछा, ‘मम्मी जी, फिर क्या सोचा है आपने घर के रिनोवेशन के बारे में?’
‘सोचना क्या खुशी, तुम्हारे पापा और मैंने कितनी मुसीबतें झेलकर यह घर बनवाया। गृहस्थी का सामान जोड़ा और रिनोवेशन के नाम पर एक झटके में सब बिखर जाएगा। घर में तोड़फोड़ होगी, घर का सामान और फर्नीचर औने-पौने दाम पर बेच दिया जाएगा। कितनी मुस्किल से घर का सामान जोड़ा है हमने। ‘ नेहा जी एक सांस में बोल गईं।
मां की बात सुनने के बाद गोपाल ने कहा– ‘ऐसा नहीं है मम्मी, सब सोच- समझकर ही करेंगे। आजकल कुछ ऑनलाइन साइट्स हैं जहां अच्छी कीमत पर पुराना सामान बिक जाता है। कई जगह एक्सचेंज ऑफर भी रहता है। और कभी न कभी तो पुराना सामान बदलना ही पड़ता है। ‘
नेहा जी ने कहा – ‘रहने दो एक्सचेंज के नाम पर दुकानदार केवल लूटते हैं। पुराना सामान कम कीमत में लेते हैं, नया बहुत ज्यादा कीमत पर देते हैं। पुराने सामान की बराबरी आज कल के नए सामान नहीं कर सकते। में अपना सामान ऐसे ही बेचने नही दुगी। ‘
नेहा जी के ये विचार सुनकर सभी निराश थे।
अमित जी मूकदर्शक बने सभी तर्कों को बड़े ध्यान से सुन-समझ रहे थे।
गोपाल ने एक और तर्क दिया, ‘मम्मी, अपना घर पुराने पैटर्न पर बना है। आजकल आर्किटेक्ट इतने अच्छे-से अच्छे डिजाइन करते हैं जो कम जगह में भी बढ़िया सुविधाएं देते हैं, इससे घर सुंदर भी दिखाई देता है और सामान रखने की व्यवस्थाएं भी अच्छी हो जाती हैं। और बात रही पुराने सामान की तो मां हम पुराने सामान को बेचने की जगह उसमें सुधार करवाके नया बना लेंगे’
‘ बेटे यह सब बड़े लोगों के चोंचले हैं। मैं तो इस पक्ष में बिल्कुल नहीं हूं।’ नेहा जी आंखें तरेरते हुए बोलीं।
खुशी ने कहा, ‘मम्मी जी एक बार आप आर्किटेक्ट का डिजाइन देख तो लीजिए, फिर पसंद न आए तो मत करवाइएगा।’
लेकिन नेहा जी टस से मस नहीं हुईं और बिना कुछ कहे अपने कमरे में चली गईं।

हमेशा खिले रहने वाले चेहरे अब आपसी खिंचाव और तनाव से मुरझाए हुए थे। अमित जैसे सभी के मन की किताब के पन्नों को गहराई से पढ़ रहे थे। अमित को अपने परिवार के बिखरने का डर था। रात को नेहा की आंखों से नींद गायब थी। नेहा रोने की कोशिश तो करती पर उसे नींद नहीं आ रही थी। रात भर करवटें बदलती रहीं।
अमित काफी देर से नेहा की बैचेनी को देख रहे थे। अमित ने नेहा को उठाया और कहा – “तुम परेशान न हों नेहा , देखो हम लोगों ने इतने साल तक अपने हिसाब से घर-गृहस्थी चलाई, अब बेटे-बहू को अपने हिसाब से घर का रिनोवेशन कर लेने दो। ये लोग सोसायटी में आना-जाना करते हैं तो जगह-जगह नई चीजें देख कर आते हैं, उनके भी अरमान हैं। ऐसे भी वक्त के अनुसार खुद को चेंज करते रहना चाहिए।”

‘देखिए जी, आप यह समझ लीजिए, हमने भी इतने साल घर में चीजे जोड़ी है, धूप में अपने बाल सफेद नहीं किए हैं। मेरे जीते जी अपना सामान में हरगिज नहीं बिकने दूंगी।’ नेहा जी ने कठोर स्वर में कहा।
‘यह भी कैसी जिद कर बैठी हैं तुम! सामान क्या बेटे-बहू के प्रेम से ज्यादा कीमती है? ये लोग कितनी देखभाल करते हैं, कितना लिहाज करते हैं अपना,और कोई होते तो अलग घर लेकर अपनी तरह से मनमुताबिक घर बसा लेते, पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। और रही बात सामान की तो को सामान ठीक करके नया बनाया जा सकता है उसको नया बना लिया जाएगा। ‘
इस कल्पना मात्र से कि कहीं बेटे- बहू अलग हो गए तो! नेहा अंदर तक हिल गई।
‘हमारे जमाने कुछ और थे। फर्नीचर भी उसी जमाने का है, तब हमारे पास पैसे की तंगी हुआ करती थी। अब भगवान की दया से गोपाल और खुशी दोनों अच्छा कमा रहे हैं और समझदार भी हैं। अपनी जिद छोड़िए।’ अमित ने समझाया।

रविवार की सुबह सब नाश्ता कर रहे थे। अमित ने ऐलान कर दिया, ‘सुनो गोपाल और खुशी तुम्हारे लिए खुशखबरी है, तुम्हारी मम्मी मान गई हैं घर के रिनोवेशन के लिए।’
माहौल खुशनुमा हो गया। खुशी जल्दी से किचन में से गजक का पैकेट लाई और सबका मुंह मीठा करवाया। नेहा जी के पैर छूकर बोली, ‘थैंक्यू मम्मी जी, हम लोग आपको कोई तकलीफ नहीं होने देंगे।’ और हुआ भी ऐसा ही। काम शुरू हो गया। देखते ही देखते घर की कायापलट हो गई। घर में पूजा रखी गई। खाने पर परिचित और रिश्तेदारों को आमंत्रित किया गया। सभी ने घर के इंटीरियर को खूब सराहा। सब बधाई देते नहीं थक रहे थे। आज नेहा जी की आंखों में भी खुशी की चमक थी। खुशी ने उनकी अनमोल यादों से जुड़े सोफे, बेड और अलमारी में थोड़ा-सा बदलाव कर नया लुक दे दिया था। उन्होंने गोपाल और खुशी को ढेर सारा आशीर्वाद दिया। आज घर के साथ-साथ उनके रिश्तों का भी खूबसूरत रिनोवेशन हो चुका था।

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