Raksha Bandhan story. Raksha Bandhan story in Hindi. Bhai Bahan ki Kahaniya. Bhai Bahan Story in Hindi.
भाई बहन की कहानीया . रक्षाबंधन की कहानीया
रक्षाबंधन की कहानी (Raksha Bandhan story) – माही का रक्षाबंधन .
दिनेश- माही आज सुबह से ही घर में बहुत चहल-पहल है।
माही- आज रक्षाबंधन का त्योहार जो है।
चार साल हुए माही की शादी को। हर बार रक्षाबंधन पर ऐसी ही रौनक रहती है, लेकिन माही का मन हर बार की तरह इस बार भी उदास ही है।
माही ने सब के लिए खीर-पूड़ी बनाई है। खीर-पूड़ी की महक सारे घर में पसरी हुई है। आज दिनेश की दोनों बहनें आ रही हैं राखी बांधने इसलिए आज दिनेश भी काफी खुश है। पापाजी भी बहुत खुश हैं बुआ के आने से। वे तो दो दिन पहले ही आ गई थीं। माही को आज अपने भैया की बहुत याद आ रही है। माही के पिता बचपन में ही खत्म हो गए थे। बड़े भैया और भाभी ही सब कुछ थे उसके लिए। माही के भाई नहीं चाहते थे कि माही, दिनेश से शादी करे, लेकिन उसने सोचा था कि वक्त के साथ सब ठीक हो जाएगा, भैया भी मान जाएंगें। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। शादी के बाद भैया ने तो उससे मुंह ही मोड़ लिया था।
माही को अपने पीहर की गलियां उसे बहुत याद आती थीं। बहूत मुश्किल उसने अपने आंसुओं को रोक रखा था। भैया का बेटा और बेटी दोनों कनाडा में पढ़ रहे थे….अकेलापन तो भैया को भी सताता होगा… क्या भैया अब मुझसे कभी नहीं बोलेंगे……….. माही यही सोच रही थी।
कुछ ही देर में माही की दोनों ननदें वहां पहुंच गई थीं। दोनों जीजाजी और उनके बच्चे भी थे। उनके आते ही घर में रौनक छा गई थी। माही की आंखों के सामने अतीत के चलचित्र घूम रहे थे। उसे याद आ रहा था कि कैसे रक्षाबंधन की तैयारी वह सुबह से किया करती थी। किस तरह वह अपने भैया से राखी के दिन अपना पसंदीदा उपहार लेती थी। भैया उसके लिए एक नहीं कई-कई उपहार लाते थे और वह अपनी किस्मत पर फूली नहीं समाती थी। भाभी की भी लाड़ली थी वह। अपनी बेटी की तरह चाहा था भाभी ने उसे। उसे याद आ रहा था कि एक बार जब बचपन में वह सीढ़ियों से गिरकर चोटिल हो गई थी और पांव में चोट के कारण चल नहीं पा रही थी तो भैया उसे अपनी गोद में उठाकर हर जगह ले जाते थे। भैया ने हर ख्वाहिश पूरी करने की आजादी दी। वे चाहते थे कि माही की शादी उनके खास दोस्त के छोटे भाई से हो, लेकिन माही तो दिनेश को ही अपना जीवनसाथी मान चुकी थी। शादी से पहले माही सोचा करती थी कि पिता की तरह स्नेह और संरक्षण देने वाले भाई की छत्रछाया में उसका मायका हमेशा गुलजार रहेगा। एक स्त्री ससुराल और मायके के बीच की धुरी बनकर खुद को पूर्ण समझती है लेकिन भैया की मर्जी के खिलाफ शादी ने माही का मायका छीन लिया था।
भारी मन से माही रसोई की ओर बढ़ गई थी। वह सबका खाना लगाने ही वाली थी कि मम्मीजी ने यह कहकर रोक दिया कि पहले मुहूर्त के अनुसार राखी बांधने, बंधवाने का कार्यक्रम होगा….. फिर सब साथ बैठकर खाना खाएंगे।
वह दिनेश के साथ बैठ गई थी सोफे पर। पास में ही मम्मीजी-पापाजी बैठे थे। बुआजी ने सबके राखी बांधी और फिर उसकी दोनों ननदों कोमल और पूजा ने भी। इस सारी चहल-पहल के बीच माही गुमसुम सी बैठी थी, तभी अपनी नजरों के सामने एक जानी- पहचानी कलाई को देखकर वह चौंक गई। नजर बिना उठाए ही सोचने लगी
‘ऐसा तिल तो मेरे भैया की कलाई पर है….।’ उसे लगा कि उसे भ्रम हो रहा है। यही सोचकर वह सबका खाना लगाने के लिए रसोई की ओर बढ़ने लगी। तभी चिर-परिचित आवाज कानों में गूंजी – ‘राखी नहीं बांधेगी गुड़िया।’
सामने सचमुच भैया अपनी कलाई आगे करके खड़े थे और पास ही भाभी खड़ी मुस्कुरा रही थीं। माही अपने भैया के गले लग गई थी। भाई-बहन का ये मिलन देख सबकी आंखें भर आई थीं। फिर भैया बोले- ‘अपनी बहन के होते हुए भाई की कलाई क्यों सूनी रहे? मैं तुझसे जरा भी नाराज नहीं हूं। मैं समझता था कि स्नेह का अर्थ सिर्फ अपनों पर अपने निर्णय थोपने से पूर्ण होता है। मैं गलत था माही। तुम बहुत भाग्यशाली हो कि तुम्हें दिनेश जैसा पति मिला है। तुम्हारी मम्मीजी ने हर राखी पर मुझे आने का न्यौता दिया। इस बार उन्होंने मुझे मना ही लिया।’
माही, मम्मीजी को भावविह्वल होकर देख रही थी तभी मम्मीजी बोलीं- ‘आज बहुत खुशी का दिन है। आज भाई-बहन फिर से मिले हैं। अपने भैया को अपने हाथ से बनी मिठाई नहीं खिलाओगी माही?’
माही मुस्कुराते हुए बोली-‘मिठाई तो सबको खिलाऊंगी, मेरे भैया जो आए हैं।’
बरसों बाद भाई को राखी बांधकर माही खुश थी। परिवार खुशी से झूम रहा था। माही बहुत खुश थी माही को सबसे अच्छा गिफ्ट मिला था ….भैया का प्यार। माही ने भगवान से प्रार्थना की ,की वह हर साल अपने भैया को ऐसे ही राखी बांधती रहे।
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रक्षाबंधन की कहानी (Raksha Bandhan story) – राखी का गिफ्ट
मेरा नाम नेहा है। हमारे घर में पापा मम्मी में और मेरा छोटा भाई है। मेरे भाई का नाम विकास है। विकास और मैं बचपन में बहुत झगड़ा करते थे। विकास को हमेशा छोटा होने का फायदा मिलता था। इस कारण मुझे डांट भी पड़ती थी।
दिन बीतते गए, हम बड़े हो गए । वह दूर मुंबई में IIT करने गया फिर वहीं नौकरी लग गई।
जब वह पास था तो उसकी कमी का अहसास नही होता था। पर जब से वह दूर रहने लगा था तब से उसकी कमी सी खलती थी। मुझे उसकी बहुत याद आने लगी।
रक्षाबंधन पर वह आ रहा था उसका कोई पक्का पता नहीं था इसलिए मैं उसे राखी नहीं भेज पाई थी। रक्षाबंधन का दिन भी पास आ गया। मुझे बचपन के रक्षाबंधन की बाते याद आने लगी।
जब वह छोटा था तो उसे दस रुपए दिए जाते थे मुझे देने के लिए। वह कहता था बड़ा होने पर भी राखी बांधने पर दस रुपए ही दूंगा।
कल राखी का त्योहार है । मैं किसको राखी बांधूंगी, यही सोचकर मन बहुत बेचैन था मेरा। रात बहुत हो चुकी थी। मुझे नींद भी नहीं आ रही थी। अचानक रात के एक बजे दरवाजे की घंटी बजी। घर में सब उठ गए इतनी रात को कोन आया होगा।
पापा ने पूछा- कौन है इतनी रात को?
उधर से आवाज आई- पापा मैं विकास। गेट खोलो।
अचानक सब हैरान रह गए । सब खुश हो गए।
पापा ने गेट खोला। पापा मम्मी सब बहुत खुस थे। वह सबके लिए तोहफे लाया था, पर मेरे लिए कुछ भी नहीं लाया था। पर मैने कुछ नही कहा मुझे तो उल्टा खुशी थी की रक्षाबंधन पर इतनी दूर वह आ तो गया। उससे बड़ा तोहफा मेरे लिए और क्या होगा।
अगले दिन जब मैंने उसे राखी बाधीं उसने अपनी जेब से दस रुपए निकाल कर थाली में डाल दिए और मुझे चिढ़ाने लगा । अम्मा बाबूजी और मैं हंस पड़े। तभी उसने रुपयों से भरा पर्स निकाल कर मेरी हथेली पर रख दिया, और कहा दीदी सब कुछ आपका है। हम दोनों भावुक हो गए और एक-दूसरे को गले से लगा लिया। उसमे कहा में आपसे राखी बंधाए बिना नही रह सकता।
रक्षाबंधन भाई बहन के सच्चे प्यार और विश्वास का त्योहार हैं।
रक्षाबंधन की कहानी (Raksha Bandhan story) – दूसरा भाई
पूजा की नई नई शादी हुई है। शादी के बाद पूजा का यह पहला रक्षाबंधन है। शादी से एक साल पहले उसके एकमात्र छोटे भाई की एक्सीडेंट से मृत्यु हो गई थी। इसलिए ना तो सावन में वो मायके गई, ना ही रक्षाबंधन पर मायके जाने का मानस बनाया।
आज रक्षाबंधन है। पूजा सुबह से ही उदास है। उसे अपने भाई की पुरानी बाते याद आ रही है। उसका मन बहुत बैचेन है। उदास मन से ही वह घर का काम करने लगी। ननद-ननदोई आने वाले थे इसलिए रसोई में लग गई । बाहर सब बैठे है। ननद-ननदोई आने का बाद पूजा ने सबको खाना खिलाया। सब के खाना खाने के बाद पूजा ने खाना खाया।
पूजा थक चुकी थी इसलिए थकान का बोलकर आराम के बहाने शयनकक्ष में आ गई थी। पूजा को अपने भाई की बहुत याद आ रही है, कैसे रक्षाबंधन पर वह अपने भाई को राखी बांध करती थी उसका भाई अपनी पॉकेट मनी में से पैसे बचा कर उसके लिए गिफ्ट लाता था।
तभी कमरे में आहट सी हुई। आंसू रोक नहीं पाई।
पूजा ने सामने ननदोई जी को खड़े पाया।
वो बोले-‘भाभी….इस घर में आपका और मेरा स्थान समान है। अगर आपको ऐतराज न हो तो इस सामाजिक रिश्ते को क्यूं न भाई-बहन के भावनात्मक रिश्ते में बदल लें?’ कहते हुए उन्होंने अपनी कलाई पूजा के आगे कर दी!
ननदोई जी के इस स्नेह को देख कर उन्हे ननदोई में अपना भाई दिखाई देने लगा। पूजा खुद को रोक नहीं पाई। सुबह से पल्लू में बंधी राखी उसने ननदोई जी के हाथ पर बांध दी।
बाहर हंसी मजाक का शोर अब भी था पर अंदर भाई बहन की नम आंखों में सुकून था।
रक्षाबंधन की कहानी (Raksha Bandhan story) – कोमल की राखी
कोमल के घर में उसके पापा मम्मी और उसके बड़े भाई है। कोमल बचपन से अपने भैया की कलाई पर राखी बांधती आई है लेकिन चाह कर भी कभी यह नहीं पूछ पाई, ‘भैया इस बार राखी पर क्या गिफ्ट दोगे?’ बस हाथ में राखी लेकर वो भैया के सामने पहुंच जाती है और भैया हाथ आगे बढ़ा देते हैं, लगता यह एक औपचारिकता पूरी करने का त्योहार है। भैया उसको गिफ्ट भी देते लेकिन कोमल खुद यह नहीं पूछ पाई की भैया आप मुझे क्या गिफ्ट दोगे ,क्योंकि वह छोटी होने के कारण बचपन से भैया से डरा करती थी। शायद इसी डर से वह कभी भैया से खुल कर बात भी नहीं कर पाई।
भैया की नई नई शादी हुई है। कल भैया की शादी के बाद की पहली राखी है। भाभी के लिए भी वह सुंदर सी राखी लेकर आई है। कोमल सोच रही थी क्या हर साल की तरह कल भी ऐसा ही होगा। सवेरे भैया की आवाज के साथ उसकी आंख खुलती है। ‘कोमल चल जल्दी से तैयार हो जा, राखी नहीं बांधनी क्या? देख तेरे लिए आज सरप्राइज गिफ्ट लाया हूं।’
पीछे-पीछे भाभी भी मुस्कराते हुए रूम में आती है। स्नेह भरी आंखों से उठने का इशारा करती है। कोमल सोचने लगी क्या यह सब बदलाव भाभी के कारण हुआ है? वह तैयार होने चल देती है। तैयार होने के बाद उसने राखी की थाली सजाई। वर्षों बाद उसने चहकते हुए भैया के राखी बांधी और अपने गिफ्ट के लिए हक से हाथ आगे बढ़ाया और भैया का हाथ अपने सिर पर यह कहते हुए रख लिया, ‘भैया मुझे आपका प्यार और आशीर्वाद चाहिए, यही मेरा सबसे बड़ा गिफ्ट है लेकिन इस प्यार को आप दर्शाएंगे तभी तो मैं भी आपसे हक से कुछ मांग सकूंगी। भाई के राखी बांधने के बाद उसने भाभी की कलाई पर राखी बांधी और उनका हाथ अपने सिर पर रखते हुए उनके द्वारा भैया के मौन स्नेह को उजागर करने के लिए धन्यवाद दिया।