Short Moral story in Hindi. शिक्षाप्रद कहानी। बच्चो की कहानी। Part 5

शिक्षाप्रद कहानी – नगर मे फैला भ्रष्टाचार 

एक राजा था। उसके राजकोष का धन धीरे धीरे कम होता जा रहा था। राजा को राजकोष के घटते हुए धन की चिंता सता रही थी। राजा को समझ नही आ रहा था की राजकोष का धन कम क्यों हो रहा है। राजा ने राजकोष में कम होते धन की समस्या के समाधान के लिए राजदरबार में बैठक बुलाई है।वहा सभी दरवारियो सहित राज्य के वरिष्ठ नागरिकों को भी बुलाया गया है।
बैठक में राजा ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि उनके देश की आर्थिक स्थिति दिनों-दिन खराब होती जा रही है। कैसे हम अपने राज्य की आर्थिक स्थिति को ठीक कर सकते है। राजा ने सभी से पूछा कि राज्य के खजाने की आय कम होने का क्या कारण है? दरबार में यह प्रश्न उठते ही सन्नाटा छा गया।
सभी दरबारी मौन थे।
दरबार में एक बुजुर्ग व्यक्ति भी बैठा था। बुजुर्ग व्यक्ति राजा के पास जाकर कहता है ,” महाराज की आज्ञा हो तो मैं इस प्रश्न का उत्तर देने को तैयार हूं।”
राजा ने कहा, ” आज्ञा है ”
बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा, ” महाराज, मुझे एक बर्फ का टुकड़ा चाहिए। ”
राजा ने सेवक को बर्फ का टुकड़ा बुजुर्ग व्यक्ति को देने को कहा ।
बुजुर्ग व्यक्ति ने बर्फ का टुकड़ा एक दरवारी को पकड़ाया और कहा , ‘इसे अपने पास बैठे हुए व्यक्ति को दे दो। एक के बाद दूसरे के हाथों आगे बढ़ाते हुए इसे राजा के पास पहुंचाना है।’
सभी ने ऐसा ही किया। बर्फ का टुकड़ा सभी व्यक्ति के हाथो से होता हुआ राजा के पास पहुंचा। राजा के पास पहुंचते पहुंचते बर्फ का टुकड़ा अपने आकार का चौथाई ही रह गया था।
राजा ने पूछा, ‘बर्फ का यह टुकड़ा यहां तक आते-आते इतना छोटा कैसे हो गया?’
बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा,” महाराज, बर्फ के टुकड़े की तरह ही प्रजा से वसूले गए कर की राशि सरकारी कोष में पहुंचते-पहुंचते चौथाई रह जाती है।
राजा की शंका का समाधान हो गया। राजा को सब समझ आ गया को आखिर क्यों उनके राजकोष का धन कम होते जा रहा है। राजा ने सभी कर्मचारियों की जांच करवाई और जांच में पाए गए सभी भ्रष्ट कर्मचारियों की छंटनी कर दी। राजकोष के लिए ईमानदार और विश्वसनीय कर्मचारियों की नियुक्ति की गई। अब फिर से राज्य की आय में बढोतरी होने लगी। राज्य के राजकोष में पर्याप्त धन हो गया।

लघु कहानी – बढ़ता आधुनिकरण 

एक गांव में एक पीपल का पेड़ था। पेड़ बहुत घना व विशाल था। उस पेड़ के आसपास घनी बस्ती थी। वह गांव की कई पीढ़ियों का गवाह था। बहुत से लोग पीपल के पेड़ की छाव में बैठा करते थे। गांव के लोगो की चौपालें लगा करती थी। उसके नीचे बच्चे खेला करते थे। बहुत से लोग मन्नत के धागे बांधे बांधते थे। इस सभी से वह खुशी से फूला नहीं समाता था। जब लोग उसकी पूजा करते तो वह स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता था। अपने आसपास की गतिविधियां देखकर वह बहुत ही फल फूल रहा था।
समय अपनी निर्बाध गति से आगे बढ़ रहा था। वक्त के साथ–साथ उसके आसपास परिवर्तन होने लगा। अब न पहले की तरह चौपाले थीं न खेल थे और न ही पहले जैसे लोग थे।
अब बच्चे भी अपने घरों में खेला करते। सभी लोग व्यस्त हो गए। किसी के पास पेड़ की छाव में बैठने का समय भी नही बचा। आसपास की बस्ती के घर भी शहरों में पलायन के कारण खंडहर में तब्दील हो चुके थे। पीपल यह सब देखकर बहुत दुखी रहने लगा था। इसकी शाखाएं, पत्तियां भी सूखने लगी थीं। समय के ऐसे परिवर्तन से पेड़ बहुत दुखी रहने लगा था।
एक दिन कुछ लोग पेड़ के नीचे की जमीन की नाप तोल करने लगे। उनमें से एक आदमी सबको निर्देश दे रहा था। उनके हाथो में आधुनिक औजार भी थे। पेड़ के आस पास के सभी खंडहर हुए घरों को तोड़ कर जमीन को समतल किया जा रहा था। अंत में पेड़ को काटने के भी निर्देश दे दिए। क्योंकि वहां कोई फैक्ट्री बनाने वाली थी। यह सबकुछ देखकर व सुनकर पीपल हतप्रद रह गया। जिन इंसानों के लिए उसने कभी भेदभाव नहीं किया, सभी को सामान छाव दी, सभी को सामान ऑक्सीजन दी आज वही इंसान आधुनिकरण के नाम पेड़ को काट रहे थे। निराश, हताश पीपल अपने अस्तित्व को मिटते देख रहा था। क्योंकि सबको विकास चाहिए था, और इस विकास की कीमत उसे चुकानी पड़ी थी।

बच्चों की कहानिया 
Short Moral story in Hindi Part 1
Short Moral story in Hindi Part 2
Short Moral story in Hindi Part 3
Short Moral story in Hindi Part 4
Short Moral story in Hindi Part 6

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