तेनालीराम की कहानी – बकरी का हर्जाना  

बच्चों की कहानी. Tenaliram Story in Hindi. Baccho ki kahaniya. 

Tenaliram ki kahani – Bakri ka Harjaana (बकरी का हर्जाना)

एक दिन राजा कृष्णदेव राय व उनके दरबारी, दरबार में बैठे थे। तेनाली राम भी वहीं थे। अचानक एक चरवाहा वहाँ एक फरियाद लेकर आया और बोला, ” महाराज, मेरी सहायता कीजिए। मेरे साथ न्याय कीजिए। मुझे न्याय दिलाइए”
“बताओ, तुम्हारे साथ क्या हुआ है , किसने तुम्हारे साथ गलत किया है ?” राजा ने पूछा।
“महाराज, मेरे पडोस मे एक कंजूस आदमी रहता है। उसका घर बहुत पुराना हो गया है, परन्तु वह उसकी कभी मरम्मत नहीं करवाई। कल उसके घर की एक दीवार गिर गई और मेरी बकरी उसके नीचे दबकर मर गई। कृपया मेरे पडोसी से मेरी बकरी का हर्जाना दिलवाने में मेरी सहायता कीजिए।”

महाराज ने तेनालीराम की तरफ देखा और आंखों के इशारे से इस समस्या का समाधान ढूंढने को कहा। तेनाली राम राजा का इशारा समझ गए, वह अपने स्थान से उठे और बोले, “महाराज, मेरे विचार से दीवार टूटने के लिए केवल इसके पडोसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। हो सकता है दीवार गिरने का कारण कोई ओर हो। हमे दीवार गिरने के मुख्य दोषी का पता लगाना होगा।”

“तो फिर तुम्हारे विचार में दोषी कौन है, किसको दीवार गिरने का दोषी ठहराया जाए ?” राजा ने पूछा।

“महाराज, यदि आप मुझे अभी थोडा समय दें, तो मैं दीवार गिरने की बात की गहराई तक जाकर असली दोषी को आपके सामने प्रस्तुत कर दूंगा।” तेनाली राम ने कहा

राजा ने तेनाली राम के अनुरोध को मान कर उसे समय प्रदान कर दिया। तेनाली राम ने चरवाहे के पडोसी को बुलाया और मरी हुई बकरी का हर्जाना देने के लिए कहा।

पडोसी बोला, “महोदय, इसके लिए मैं दोषी नहीं हूँ। यह दीवार तो मैंने मिस्त्री से बनवाई थी, अतः असली अपराधी तो वह मिस्त्री है, जिसने वह दीवार बनाई। उसने इसे मजबूती से नहीं बनाया। अतः वह गिर गई। मेरा इसमें कोई दोष नही। ”

तेनाली राम ने मिस्त्री को बुलवाया। मिस्त्री ने भी अपने को दोषी मानने से इनकार कर दिया और बोला, “अन्नदाता, मुझे व्यर्थ ही दोषी करार दिया जा रहा है जबकि मेरा इसमें कोई दोष नहीं है। असली दोष तो उन मजदूरों का है, जिन्होंने गारे में अधिक पानी मिलाकर मिश्रण को खराब बनाया, जिससे ईंटें अच्छी तरह से चिपक नहीं सकीं और दीवार गिर गई। मेरा इसमें कोई दोष नही है, आपको हर्जाने के लिए उन्हें बुलाना चाहिए।”
राजा ने मजदूरों को बुलाने के लिए अपने सैनिकों को भेजा। राजा के सामने आते ही मजदूर बोले, “महाराज, इसमें हमारा कोई दोष नही है, इसके लिए दोषी तो वह पानी वाला व्यक्ति है, जिसने गारे चूने में अधिक पानी मिलाया।”
अब की बार गारे में पानी मिलाने वाले व्यक्ति को बुलाया गया। राजा के सामने आने पर वह बोला, “इसमें मेरा कोई दोष नहीं है महाराज, वह बर्तन जिसमें पानी हुआ था, वह बहुत बड़ा था। जिस कारण उसमें आवश्यकता से अधिक पानी भर गया। अतः पानी मिलाते वक्त मिश्रण में पानी की मात्रा अधिक हो गई। मेरे विचार से आपको उस व्यक्ति को पकडना चाहिए, जिसने पानी भरने के लिए मुझे इतना बडा बर्तन दिया। तेनालीराम के पूछने पर कि वह बडा बर्तन उसे कहाँ से मिला, उसने बताया कि पानी वाला बडा बर्तन उसे चरवाहे ने दिया था, जिसमें आवश्यकता से अधिक पानी भर गया था |
तब तेनाली राम ने चरवाहे से कहा, “देखो, यह सब तुम्हारा ही दोष है। तुम्हारी एक गलती ने तुम्हारी ही बकरी की जान ले ली।”
चरवाहा अपनी गलती समझ चुका था , वह बिना हर्जाना लिए दरबार से चला गया। सभी तेनाली राम के बुद्धिमतापूर्ण न्याय की भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहे थे।

तेनालीराम की कहानी – खुशबू की कीमत

अकबर बीरबल की कहानी

Leave a Comment

error: Content is protected !!