तेनालीराम की कहानी– उधार का बोझ

बच्चो की कहानी। Tenalirama Story in Hindi. Baccho ki kahaniya. 

एक बार तेनालीराम वित्तीय समस्या से जूझ रहे थे। उनके पास पैसे का संकट आन पड़ा था। वित्तीय समस्या के कारण तेनालीराम ने राजा कृष्णदेव राय से कुछ रुपए उधार लिए। उन्होंने उधार लिए पैसे निश्चित समय में चुकाना स्वीकार किया। समय बीतता गया और पैसे वापस करने का समय भी निकट आ गया। तेनालीराम के पास अभी उधार लिए गए पैसे चुकाने के पैसे नही थे। इसलिए तेनालीराम ने उधार चुकाने से बचने के लिए एक योजना बनाई। तेनालीराम ने कई दिनों से दरबार में जाना बंद कर दिया था।

एक दिन राजा को तेनाली राम की पत्नी की और से एक पत्र मिला। उस पत्र में लिखा था कि तेनालीराम बहुत बीमार है । तेनालीराम कई दिनो से दरबार मे भी नहीं आ रहा था, इसलिए राजा ने सोचा कि स्वयं जाकर तेनालीराम से मिला जाए। साथ ही राजा को भी सन्देह हुआ कि कहीं उधार से बचने के लिए तेनालीराम की कोई योजना तो नहीं है क्योंकि उधार वापस करने का समय आ गया था।
अगले दिन राजा तेनालीराम के घर पँहुचे। राजा ने देखा कि तेनालीराम कम्बल ओढकर पलंग पर लेटा हुआ है। उसकी ऐसी अवस्था देखकर राजा ने उसकी पत्नी से कारण पूछा। वह बोली, “महाराज, इनके दिल पर आपके दिए हुए उधार का बोझ है। यही चिन्ता इन्हें अन्दर ही अन्दर खाए जा रही है और शायद इसी कारण यह बीमार हो गए।”
राजा ने तेनालीराम को उठाया और तेनाली को सांत्वना दी और कहा, “तेनाली, तुम परेशान मत हो। तुम मेरा उधार चुकाने के लिए नहीं बँधे हुए हो। चिन्ता छोडो और शीघ्र स्वस्थ हो जाओ।”
यह सुन तेनाली राम पलंग से उठ पड़े और हँसते हुए बोला, ” महाराज, धन्यवाद।”
“यह क्या है, तेनाली? इसका मतलब तुम बीमार नहीं थे। मुझसे झूठ बोलने का तुम्हारा साहस कैसे हुआ?” राजा ने क्रोध में कहा ।
“नहीं नहीं, महाराज, मैने आपसे झूठ नहीं बोला। मैं उधार के बोझ से बीमार था। आपने जैसे ही मुझे उधार से मुक्त किया, तभी से मेरी सारी चिन्ता खत्म हो गई और मेरे ऊपर से उधार का बोझ हट गया। इसी बोझ की वजह से मे बीमार हो गया था। इस बोझ के हटते ही मेरी बीमारी भी जाती रही और मैं अपने को स्वस्थ महसूस करने लगा। अब आपके आदेशानुसार मैं स्वतंत्र, स्वस्थ व प्रसन्न हूँ।”
हमेशा की तरह राजा के पास कहने के लिए कुछ न था, वह तेनालीराम की योजना पर मुस्करा पडे।
तेनालराम ने राजा से कहा, महाराज में उधार लिए गए सारे पैसे लौटा दुगा लेकिन मुझे थोड़ा वक्त और चाहिए।
राजा ने तेनालीराम से कहा, ’ नही तेनाली, तुम्हे पैसे लौटाने की अब कोई जरूरत नहीं है। में तुम्हे उधार से मुक्त करता हु। तुम बस स्वस्थ रहो यही मेरी कामना है। कल से वापस दरबार में आ कर अपना काम संभाल लेना।
तेनालीराम राजा की तरफ देख कर मुस्कुरा रहे थे।उनके ऊपर से उधार का बोझ भी हट चुका था।

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