Hindi Short Story. Short Stories in Hindi. Family Short Story in Hindi.  हिंदी लघु कहानीया। छोटी कहानिया।  

पारिवारिक कहानी। हिंदी कहानी। Family Hindi story

हिंदी लघु कहानी (Hindi Short Story) – घर का रेनोवेशन

मुकेश अपने घर का रेनोवेशन करवा रहा है। उसमे मजदूरों को आंगन में लगे हुए 3 पेड़ काटने को कहा है।
साहब, आंगन के तीनों पेड़ कट गए हैं। अब बस जड़े बची है। अब क्या करना है?
मजदूर ने पूछा तो मुकेश ने कहा, ‘कल आकर बचा हुआ भी जड़ से निकाल देना क्योंकि मिस्त्री को कमरा बनाने का काम शुरू करना है।’
इतना कहकर वह ईंट और सीमेंट भिजवाने के लिए डीलर को फोन करने लगा। शाम को मुकेश अपने बेटे के कमरे में गया तो उसने मेज पर एक तस्वीर देखी जो उसके बेटे ने बनाई थीं।मेज पर बेटे द्वारा बनाई गई तस्वीर को देखकर वह चौंक गया। उसने बेटे से पूछा कि तस्वीर में मकान, मम्मी-पापा, भाई, पक्षी,सूरज आदि के साथ आंगन के तीन पेड़ क्यों नहीं बनाए? ये काला काला सा क्या बनाया है तुमने? बेटे ने जवाब दिया, ‘पापा, पेड़ तो मैंने बनाया था लेकिन आपने तीनों पेड़ कल मजदूर अंकल से कटवा दिए, इसलिए मैंने पेड़ इरेज करके यह बना दिया। टीचर ने कहा है कि ‘मेरा घर’ शीर्षक के तस्वीर में जैसा तुम्हारा घर है वैसा ही बनाना है तो मैंने बना दिया है।’
मुकेश सोचने लगा, एक पेड़ के बिना तस्वीर अच्छी नहीं लग रही है तो उसका घर कैसे अच्छा लगेगा। जो पेड़ बरसों से उसके परिवार को फल, छाया और प्राणवायु दे रहा था, उसे एक कमरा बनवाने के लिए निर्ममतापूर्वक कटवाकर उसने बहुत बड़ी भूल की है, लेकिन अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है। वह उनकी जड़ों को सींचकर उस ठूंठ को फिर से हरा-भरा पेड़ बनाएगा। उसने मजदूर को फोन करके कल आने के लिए मना कर दिया, ईंट-सीमेंट की डील कैंसिल कर दी और माली काका को फूलों के कुछ नए बीज और पौधे लेकर सुबह आने के लिए कहा। मुकेश को समझ आ गया की पेड़ के बिना उसका मकान घर नही बन पाएगा। मुकेश ने बची हुई जड़ों को रोज पानी से सींचना शुरू कर दिया। कुछ ही हफ्तों में बचे हुए भाग में फिर से हरी टहनियां निकलने लगी। मुकेश अब अपने इस कदम से काफी खुश था।

हिंदी लघु कहानी (Hindi Short Story)- क्या सास कभी माँ नही बन सकती?

बात तब की है, जब मुझ नई-नवेली को ससुराल में आए सिर्फ एक ही माह हुआ था। घर पर कुछ मेहमान आए हुए थे और मुझे उनके लिए कुछ खास पकवान बनाने को बोला गया था।
में पकवान बनाने रसोई में गई। ‘मैं खाना बनाने में माहिर हूं।’ मुझे अब तक तो ऐसा ही लगता था। यही सोचकर मैंने फटाफट समोसे बनाने की तैयारियां शुरू कर दी। समोसों को तलने के लिए मैंने जैसे ही कढ़ाही में डाला, वैसे ही पता नहीं क्यों ? समोसों का आलू बाहर आने लगा और पूरा तेल काला पड़ गया। मैं परेशान हो गई की अब बाहर बैठे मेहमानो को क्या खिलाऊगी।
तभी सासू मां किचन में आई और यह सब देखकर मुझसे बिना कुछ बोले वह एक बर्तन में बेसन फेंटने लगीं। उन्होंने बचे हुए आलू मसाले के गोले बनाने शुरू कर दिए और दूसरी कढ़ाही रखकर आलू-वड़े सेंकने लगीं। मुझे दूसरे कुकर में और आलू उबालने को बोला, फिर वे आलू वड़ों को एक प्लेट में सजाकर मेरे हाथों में देकर बोलीं- ‘जाओ बेटा! ये आलू वडा ले जाओ और कहना कि ये तुमने ही बनाए हैं।’
मैं सासू मां को देखकर मन ही मन सोचने लगी- ‘जाने कौन कहता है कि सास कभी मां नहीं बन सकती।’

Hindi Short Story Part 1

Hindi Short Story Part 2

 

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