Maa Emotional Story in Hindi- Maa ki Mamta. मां पर 3 इमोशनल स्टोरी। Maa par 3 Emotional Story
Maa ki Mamta (माँ की ममता ) Emotional Story 1
हर माँ की तरह निकिता अपने बेटे ऋतिक से बहुत प्यार करती थी और उसे कभी दुखी नहीं देखना चाहती थी। एक दिन सुबह सुबह दरवाजे से किसी की आवाज आई। इतनी सुबह- सुबह कौन आया है यह सोचते हुए ऋतिक तेजी से बाहर दरवाजे की तरफ बढा। तेजी से भागते हुए वह टेबल से टकरा गया। टकराने से टेबल पर रखा कांच का डिब्बा नीचे जा गिरा। डिब्बे मे ऋतिक की माँ के बनाए हुए आंवला का आचार था जो की उसने अभी कुछ दिनों पहले ही बनाया था। डिब्बे के टूटते ही आंवला का आचार फर्श पर बिखर गया।
किचन में काम कर रही ऋतिक की माँ को किसी चीज के टूटने की आवाज आई। वह किचिन से बाहर आ कर देखती है तो आंवला का आचार जमीन पर बिखरा पड़ा था। माँ को यह देखते ही बहुत गुस्सा आया। उन्होंने ऋतिक को इसके लिए बहुत डाटा। ऋतिक कहता रहा कि यह उसने जान पूछकर नही किया। पर ऋतिक की माँ का गुस्सा कम नही हुआ और आज ऋतिक को बहुत डाट सुनने को मिली। वह समझाता रहा कि इसमें मेरी गलती नही है।
ऋतिक कुछ देर तक तो सुनता रहा, पर थोड़ी ही देर में उसके सब्र का बाँध टूट गया। ऋतिक भी गुस्से में बोला,”आप तो ऐसे गुस्सा कर रहे हो जैसे कोई कीमती समान तोड़ दिया मैंने”. इस बात को लेकर काफी देर तक बहस चलती रही, अन्त मे माँ ने ऋतिक को पूरे दिन भोजन न देने की ठान ली और इधर ऋतिक भी अपनी बात पर कायम रहा कि उसकी कोई गलती नही। नाराज ऋतिक घर की बालकनी मे जाकर चुपचाप बैठ गया, उधर उसकी माँ भी अपने काम में लग गयी । ऋतिक अक्सर माँ के साथ ही खान खाता । खाना खाने से पहले अपनी माँ से जरूर पूछता, “माँ तूने खाना खाया”.
आज हठ के कारण माँ बेटे ने एक-दूसरे के साथ न खाना खाया, न ही एक-दूसरे को खाने के लिए पूछा । सुबह से शाम हो गयी ,ऋतिक कभी बालकनी मे टहलता, कभी कुर्सी में बैठता तो कभी बेड पर सो जाता कभी कुछ सोचने लगता। जैसे-जैसे समय गुजरता गया गुस्सा कम होने लगा और भूख भी बढ़ती गई। मगर दोनो माँ बेटे अपनी हठ पर अड़े रहे। ऋतिक ने आज घर में बने भोजन की तरफ देखा तक नही, यहा तक कि आज रसोई में गया भी नही।
शाम को उसको खिड़की से ठेले वाले कि आवाज सुनते देती है जो कि मुगफली बेच रहा होता है। मूंगफली वाला रोज शाम के वक्त वहा से गुजरता था। ऋतिक को रहा नही गया। भूख भी तेज लगी थी। वह जल्दी से ठेले के पास पहुंचा और ठेले वाले से 20 रुपये की मूंगफली खरीदी | उसे खाकर पेट की थोड़ी भूख शांत हुई परंतु उसे अभी भी बहुत भूख लगी थी। रात के दस बज गए, ऋतिक अपने कमरे मे बेड पर पड़ा पड़ा सोच रहा था की आज क्या मां ने भी खाना खाया है या नही। Maa Emotional Story in Hindi.
कुछ समय बाद उसकी माँ उसके कमरे मे आती है। उनके हाथ मे थाली थी जिसमें ऋतिक की मनपसंद सब्जी भिंडी और चार रोटियां थी। माँ ने ऋतिक से खाने के लिए कहाँ, पर ऋतिक कहाँ सुनने वाला | वो मुँह मोड़कर दिवार की तरफ नीचे देखने लगा। तभी उसकी माँ की आंखो से ममता के आंसू छलक पड़े और बहते आंसूओ के साथ, ऋतिक से कहा “सुबह से तुने कुछ नही खाया, खाना खा ले |
माँ के बहते आंसूओ को देख ऋतिक भी खूद को रोक नही सका और उसकी आँखों से भी आँसू छलक पड़े। उसने कुछ कहा तो नही पर माँ के सीने से लिपट के बस रोता रहा क्योकि उसको पता था आज सुबह से माँ ने भी कुछ नही खाया है। माँ को दिनभर भूखा रखने का दुख उसके आंखो से बहते आंसू बया कर रहे थे।
इसलिए दोस्तो माँ का दिल कभी नही दुखाना चाहिए। माँ अपने बच्चे के बारे में हमेशा अच्छा ही सोचती है। माँ को कभी दुःखी नही करना चाहिये।
Maa ki Mamta (माँ की ममता )Emotional Story 2
एक दिन थॉमस एडिसन ने स्कूल से घर आकर अपनी मां को एक पत्र दिया और उसने अपनी माँ से कहा, “मेरे शिक्षक ने मुझे यह पेपर दिया और मुझसे कहा कि इसे केवल अपनी मां को ही देना।”
उसकी मां ने वह पत्र पढ़ा। पत्र पढ़ कर उसकी माँ की आँखों में आंसू आ गए। बेटे ने अपनी मां से पूछा मां पत्र ने क्या लिखा है।
उसकी माँ ने अपने बच्चे को पत्र पढ़ कर सुनाया, “तुम्हारा बेटा पढ़ने में बहुत अच्छा है। वह एक प्रतिभाशाली बच्चा है। इस स्कूल के शिक्षकों में इतना सामर्थ्य नहीं जो आपके बच्चे को पढ़ा सके। इसलिए आप अपने बच्चे का एडमिशन किसी दूसरे स्कूल में करावे या उसे स्वयं पढ़ाएं।”
यह सुनकर थॉमस एडिसन बहुत खुश हुए।
यह पत्र पढने के बाद पत्र को अपनी अलमारी में सम्भाल कर रख दिया और फिर उस दिन के बाद वह अपने बेटे को खुद ही पढ़ाने लगी। उनकी मां ने मन में ठान लिया था की वह अपने बेटे को एक कामयाब इंसान जरूर बनाएगी।
थॉमस एडिसन की मां की मृत्यु के कई साल बाद, एडिसन उस सदी के सबसे महान आविष्कारकों में से एक बन गए थे।
एक दिन कुछ पुराने सामान खोजते वक्त इनकी नजर उस पत्र पर पढ़ी जो माँ ने छुपा कर और संभाल कर रखा था। यह वही पत्र था जो बचपन मे स्कूल के शिक्षक ने माँ को देने को कहा था।
एडिसन ने पत्र खोला और पढ़ना शुरू किया। पत्र पढ़ते पढ़ते उनकी आंखों से आँसू आने लगे।
उस पत्र पर लिखा था, ‘आपका बेटा मानसिक रूप से बीमार है। उसको डॉक्टर की जरूरत है। उसकी मानसिक हालात का बाकी बच्चो पर भी असर पड़ता है इसलिए हम उसे अब अपने स्कूल में नहीं आने दे सकते। उसे निकाल दिया जाता है। इसके लिए हमे खेद है।”
एडिसन इसे पढ़कर भावुक हो गए और उनको समझ आ गया कि आज वह जो कुछ भी है वह सिर्फ अपनी माँ की बदौलत है। फिर उन्होंने अपनी डायरी में लिखा, “थॉमस अल्वा एडिसन एक मानसिक रूप से बीमार बच्चा था जिसकी माँ ने उसे सदी का जीनियस बना दिया।”
Moral: एक माँ ही है इस दुनिया मे जो अपने बच्चे को सच्चा प्यार करती है और उसके व्यक्तित्व को बनाती है। इसलिए हम कभी अपनी माँ का कर्ज नही उतार सकते।
Maa ki Mamta (माँ की ममता )Emotional Story 3
एक गांव में रवि और उसकी मां रहते थे। रवि जब कुछ महीने का था उनके पिताजी किसी बीमारी के चलते खत्म हो गए थे। माँ मजदूरी करके अपना और अपने बच्चे का पेट भरती थी। मां की एक ही आंख थी और उस वजह से रवि को अपने माँ के साथ कही भी जाने में शर्म आती ही। रवि उसकी मां के साथ कही भी नही जाया करता था। जब रवि के स्कूल में कोई फंक्शन होता तब भी रवि के सब दोस्त अपने माता पिता को लेकर आते थे पर रवि शर्म के कारण अपनी मां को नहीं लाया करता था। एक दिन स्कूल वालो ने सभी बच्चो के पेरेंट्स को स्कूल बुलाया। रवि की माँ भी स्कूल गयी। वहां पर रवि के सभी दोस्तो ने रवि का उसकी माँ की आंख की वजह से मजाक उड़ाया और उसको “अन्धी माँ का बेटा” कहकर चिढ़ाने लगे। रवि को बहुत शर्म आयी। इस वजह से रवि अपनी मां से और भी नफरत करने लगा। उसे लगता कि उसकी माँ की वहज से लोग उसका मजाक उढ़ाते है। अब वह कही भी माँ के साथ जाने में शर्म महशुस करने लगा। धीरे धीरे उसने फैसला किया की वह अपनी मां के साथ नहीं रहेगा। इसलिए उसने फैसला किया कि वह बहुत मेहनत से पढ़ाई करेगा और अपना जीवन माँ से अलग व्यतीत करेगा और वह अपनी मां को छोड़ देगा। रवि ने खूब मेहनत से पढ़ाई की और अच्छे ग्रेड के साथ अपनी पढ़ाई पूरी की। रवि की दूसरे शहर में अच्छी जगह नौकरी लग गयी।
वह अपनी माँ को छोड़कर शहर में बस गया। उसने एक बड़ा घर खरीदा, वही शादी की और उसके बच्चे हुए। माँ अकेली गांव में रहती थी। उसको आस थी कि उसका बेटा एक दिन उसके पास जरूर आएगा। रवि एक सुखी सफल जीवन जी रहा था। रवि अब अपनी मां को पूरी तरह भूल चुका था। वह नहीं चाहता था की उसकी मां की वजह से उसकी अब यहां बेज्जती हो । इसलिए वह कभी मां को अपने पास नही बुलाता।
एक दिन उसकी माँ को उसकी बहुत याद आयी। मां ने गांव वालो से उसका पता मालूम किया और वह उससे मिलने शहर चली आई। जब रवि ने उसे देखा तो उसने अपनी माँ को पहचानने से मना कर दिया और उसे भिकारी कहते हुए अपने नोकर से उसको बाहर छोड़ कर आने को कहा।
माँ समझ गई कि उसका बेटा उसे देखना नहीं चाहता और उसने चुपचाप उत्तर दिया, “मुझे माफ़ कर दो, में यहाँ गलती से आ गयी। हो सकता है कि मुझे गलत पता मिल गया हो।” फिर वह वहाँ से रोते हुए वापस गांव आ गयी।
कुछ सालों बाद रवि को अपने पुराने मकान का ख्याल आया। उसने सोचा कि माँ अब नही रही होगी ।क्यो ना गांव का मकान बेच दिया जाए। इसलिए वह अपने पुराने घर में चला गया। जब उसने वहाँ प्रवेश किया तो उसने देखा वहां कोई नही था। उसने अलमारी खोली तो उसमें एक पत्र था।
उसने लिखा: मेरे बेटे, में अब बहुत बुड्ढी हो गई हु। जब तू यह पत्र पढ़ रहा होगा तब शायद में जिंदा नही रहु.. मैं तुम्हें बहुत याद करती हूं बेटा। बेटा मुझे पता है कि तुमको मेरी एक आंख होना पसन्द नही। मुझे खेद है कि मेरी केवल एक आंख है, और मैं तुम्हारे लिए एक शर्मिंदगी थी। बेटा जब तू बहुत छोटा थे, तेरा एक्सीडेंट हो गया और तेरी एक आंख चली गई। एक माँ के रूप में, मैं तुझे केवल एक आँख से बड़ा होते हुए देख नहीं सकती थी … इसलिए मैंने तुझे अपनी एक आँख दी ताकि तू खशी ख़ुशी अपना जीवन जी सके। मैं तुम्हें बहुत याद करती हूँ। मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। तू मेरे लिए सब कुछ हैं। तू हमेशा खुश रहना। भगवान तुझे हर खुशी दे।
यह पत्र पढ़ते पढ़ते रवि की आँखों से आँसू आ गए । उसको अपनी गलती पर पछतावा होने लगा। पर अब बहुत देर हो चुकी थी। इस दुनिया में उसको सबसे ज्यादा प्यार करने वाली उसकी माँ अब उससे बहुत दूर जा चुकी थी। वह जोर जोर से रोने लगा। उसके रोने की आवाज पूरे मकान में गूँजने लगी। लोग मकान के बाहर इक्कठा होने लगे। सब लोग उसको कोस रहे थे और बोल रहे थे कि तू अपनी माँ के अंतिम संस्कार तक मे नही आया । कैसा बेटा है तू। निकल जा इस गांव से। रवि की गांव वालों ने गांव से निकल दिया। अब रवि के पास पछताने के अलावा कोई रास्ता नही था। अब वह अपनी माँ से कभी नही मिल सकता था।