बच्चो की कहानी. पंचतंत्र की कहानी । Child Story in Hindi. Panchtantra Story in Hindi

पंचतंत्र की कहानी – एक और एक ग्यारहा

एक बार की बात हैं कि हिमालय के घने जंगल में एक घमंडी हाथी ने भारी उत्पात मचा रखा था। वह अपनी ताकत के नशे में चूर होने के कारण किसी को कुछ नहीं समझता था।
जंगल में ही एक पेड पर एक चिडिया व चिडे का छोटा-सा घोसला था। घोसले में चिडिया के दो अंडे थे। चिड़िया अंडो पर बैठी अंडो से निकलने वाले नन्हें-नन्हें प्यारे बच्चो के सुनहरे सपने देखती रहती। एक दिन घमंडी हाथी गरजता, चिंघाडता पेडों को तोडता-गिरता हुआ उसी ओर आया। हाथी ने उसके रास्ते में आने वाले सभी पेड़ तोड़ दिए। देखते ही देखते उसने चिडिया के घोंसले वाला पेड भी तोड डाला। घोंसला उचाई से नीचे आ गिरा। इतनी ऊंचाई से नीचे गिरने से चिड़िया के अंडे टूट गए। चिडिया और चिडा चीखने चिल्लाने के सिवा और कुछ न कर सके। हाथी के जाने के बाद चिडिया टूटे हुए अंडो को देख कर जोर जोर से रोने लगी।
तभी वहां कोठफोड़वा आई। उसका नाम कुमकुम था। वह चिडिया की अच्छी मित्र थी। कुमकुम ने उनके रोने का कारण पूछा तो चिडिया ने कुमकुम को अपनी सारी बात बताई की किस तरह हाथी ने उसके घोंसले को तोड़ दिया साथ ही उसके दोनो अंडे भी फोड़ दिए ।
कुमकुम को चिड़िया की बात सुन कर बहुत दुख हुआ।
कुमकुम चिड़िया से बोली “इस तरह रोने से कुछ नहीं होगा। उस हाथी को सबक सिखाने के लिए हमे कुछ करना होगा। उसने पूरे जंगल मे उत्पात मचा रखा है। ”
चिडिया ने निराशा दिखाई “हमें छोटे-मोटे जीव उस बलशाली हाथी से कैसे टक्कर ले सकते हैं? हम छोटे से जीव और वह इतना विशाल शरीर वाला बलशाली जीव! ”
कोठफोड़वा(कुमकुम) ने समझाया “एक और एक मिलकर ग्यारह बनते हैं। हम अपनी शक्तियां को जोडेंगे। हम मिलकर उस दुष्ट हाथी को सबक सिखाएंगे। ”
“कैसे? तुम्हारे पास कोई योजना है तो बताओ ” चिडिया ने पूछा।
“मेरा एक मित्र जीतू नामक भंवरा हैं। हमें उससे सलाह लेनी चाहिए।” चिडिया और कोठफोड़वा जीतू नामक भंवरे से मिली। चिड़िया ने जीतू को अपनी सारी बात बताई। चिड़िया की बात सुन कर जीतू को हाथी पर बहुत गुस्सा आया।
जीतू बोला “यह तो बहुत बुरा हुआ। मेरा एक लुपा नामक मेंढक मित्र हैं आओ, उससे पास चलकर हम उससे सहायता मांगे। वो कोई न कोई उपाय अवश्य ही बताएगा”
अब तीनों उस सरोवर के किनारे पहुंचे, जहां वह लुपा नामक मेढक रहता था। भंवरे ने सारी समस्या बताई। सारी बात सुन कर लुपा को भी चिड़िया पर बहुत दया आई। लुपा भर्राये स्वर में बोला “आप लोग धैर्य से जरा यहीं मेरी प्रतीक्षा करें। मैं गहरे पाने में बैठकर सोचता हूं।”
ऐसा कहकर लुपा जल में कूद गया। आधे घंटे बाद वह पानी से बाहर आया तो उसकी आंखे चमक रही थी । वह बोला ” दोस्तो! उस हत्यारे हाथी को नष्ट करने की मेरे दिमाग में एक बडी अच्छी योजना आई हैं। योजना में सभी को साथ देना होगा तभी हम उस दुष्ट हाथी को दंड दे पाएंगे।”
लुपा ने जैसे ही अपनी योजना बताई, सब खुशी से उछल पडे। योजना सचमुच ही अदभुत थी। लुपा ने दोबारा बारी-बारी सबको अपना-अपना रोल समझाया।
कुछ ही दूर वह घमंडी हाथी तोडफोड मचाकर व पेट भरकर कोंपलों वाली शाखाएं खाकर मस्ती में खडा झूम रहा था। पहला काम भंवरे का था। वह हाथी के कानों के पास जाकर मधुर राग गुंजाने लगा। राग सुनकर हाथी मस्त होकर आंखें बंद करके झूमने लगा।
तभी कुमकुम ने अपना काम कर दिखाया। वह आई और अपनी सुई जैसी नुकीली चोंच से उसने तेजी से हाथी की दोनों आंखें पर जोर से प्रहार किया। कुमकुम की चोंच से हाथी की आंखे फूट गईं। वह तडपता हुआ अंधा होकर इधर-उधर भागने लगा।
जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था, हाथी का क्रोध बढता जा रहा था। आंखों से नजर न आने के कारण ठोकरों और टक्करों से शरीर जख्मी होता जा रहा था। जख्म उसे और चिल्लाने पर मजबूर कर रहे थे।
एक तो आंखों में जलन और ऊपर से चिल्लाते-चिंघाडते हाथी का गला सूख गया। उसे तेज प्यास लगने लगी। अब उसे एक ही चीज की तलाश थी, वह था पानी। पानी को तलास में हाथी अब इधर उधर भटक रहा था। मेढक ने अपनी योजना के अनुसार अपने बहुत से बंधु-बांधवों को इकट्ठा किया और उन्हें ले जाकर दूर बहुत बड़े गड्ढे के किनारे बैठकर टर्राने के लिए कहा। सारे मेढक टर्राने लगे। मेढक की टर्राहट सुनकर हाथी के कान खडे हो गए। वह यह जानता था कि मेढक जल स्त्रोत के निकट ही वास करते हैं। वह उसी दिशा में चल पडा। टर्राहट और तेज होती जा रही थी। प्यासा हाथी और तेज भागने लगा। जैसे ही हाथी गड्ढे के निकट पहुंचा, मेढकों ने पूरा जोर लगाकर टर्राना शुरू किया। हाथी आगे बढा और विशाल गहरे गड्ढे में गिर पडा, जहां उसके प्राण पखेरु उडते देर न लगे। इस प्रकार उस अहंकार में डूबे हाथी का अंत हुआ। चिडिया ने आभार व्यक्त करते हुए मेढक से कहा”भैया, मैं आजीवन आपकी आभारी रहूंगी। आपने मेरी इतनी सहायता कर दी। ”
मेढक ने कहा ” आभार मानने की जरुरत नहीं । मित्र ही मित्र के काम आते हैं।’

शिक्षा-
1.एकता में बल हैं ।
2.हम अपनी बुद्धि का प्रयोग करके किसी भी समस्या का समाधान कर सकते है।
2.अहंकारी का एक ना एक दिन अंत होता ही हैं।

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