Short Moral story in Hindi. शिक्षाप्रद कहानी। बच्चो की कहानी। Part 4
शिक्षाप्रद कहानी – संगति
एक गांव में रामदेव नाम का किसान रहता था। उसका एक पुत्र था। वह जैसे जैसे बड़ा होते जा रहा था उसके नये नये दोस्त भी बन रहे थे। किसान को उसके बेटे की संगति की भी चिंता होने लगी । उसको पता था कि संगति जीवन मे काफी महत्वपूर्ण स्थान रखती है। अच्छी संगति का परिणाम अच्छा और गन्दी संगति का परिणाम बुरा होता है। अच्छी संगती से जीवन पर सकारात्मक और बुरी संगती से जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिये उसने अपने बच्चें को एक सीख देने की ठानी।
एक दिन उसने अपने बेटे से कहा कि वह कहीं से एक हाथ में कोयला और एक हाथ में चंदन की लकड़ी का टुकड़ा लेकर आए।
उसका पुत्र दोनों चीजें ले आया।
किसान ने बेटे से कहा ,” अब ऐसा करो ,अपने दोनों हाथो में पकड़ी चीजें फेंक दो।”
उसके बेटे ने दोनों वस्तुएं फेंक दीं।
किसान ने बेटे से कहा ,’अब तुम मुझे अपने दोनों हाथ दिखाओ।’
बेटे ने अपने दोनों हाथ आगे कर दिए। जिस हाथ में उसने कोयला पकड़ा था उस हाथ में अब भी कोयले की कालिख लगी हुई थी, जबकि जिस हाथ में उसने चंदन की लकड़ी का टुकड़ा पकड़ा था उसमें से चंदन की खुशबू आ रही थी।
किसान ने कहा, ” बेटा अपने दोनो हाथ देखो, एक हाथ काला हो गया हैं, जबकि दूसरे हाथ से चंदन की खुशबू आ रही है।
यह बेटा संगति का असर है! जिस हाथ ने जैसी संगति की उसे वैसा ही फल मिल गया। हालांकि दोनों वस्तुओं को तुमने फेंक दिया है इसके बावजूद उन्होंने अपनी निशानी छोड़ दी है। कोयले की कालिख को तुम बुरी संगति समझो और चंदन की लकड़ी को अच्छी संगति। अब यह तुम्हारे ऊपर है कि तुम दोनों में से क्या चुनते हो।’
पिता की सीख मानकर उसने बुरी संगति से नाता तोड़ लिया और अच्छाई की राह पर चल पड़ा।
शिक्षा – अच्छी संगती जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालती है, बुरी संगती जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
शिक्षाप्रद कहानी – अपनी–अपनी समझ.
Short Moral Story in Hindi. बच्चों की कहानिया।
एक राजा ने अपने बेटे को ज्योतिष का ज्ञान सिखाने के लिए एक मशहूर ज्योतिषी के पास भेजा। वहां ज्योतिषी का बेटा और राजकुमार साथ ही ज्योतिष सीखने लगे। कुछ सालों बाद राजकुमार की ज्योतिष शिक्षा पूरी हो गई। राजा ने अपने बेटे की परीक्षा लेने के लिए उसे और साथ ही ज्योतिषी के बेटे को भी दरबार में बुलाया।
राजा अब दोनो की परीक्षा ले कर देखना चाहता था की दोनो में से कोन ज्यादा ज्योतिष सीखा हैं। राजा ने अपने हाथ में चांदी की अंगूठी छिपा ली और पूछा, ‘ बताओ मेरी मुट्ठी में क्या चीज है?’
राजकुमार ने कहा, ‘सफेद-सफेद, गोल-गोल सी, कोई कड़ी चीज है, बीच में उसके एक सुराख है।’
यह सुन राजा बहुत खुश हुआ। राजा ने उससे आगे पूछा, ‘इसका नाम बताओ।’
राजकुमार ने बताया, ‘यह चक्की का पाट है।’
फिर राजा ने ज्योतिषी के बेटे से पूछा, ‘तुम बताओ मेरी मुट्ठी में क्या है?’
‘चांदी की अंगूठी।’ ज्योतिषी के बेटे ने कहा।
राजा ने ज्योतिषी से कहा कि तुमने अपने बेटे को अधिक ज्ञान दिया, मेरे बेटे को नहीं।
ज्योतिषी ने कहा, “महाराज मैने दोनो को सामान ही शिक्षा दी है। ज्योतिष विद्या दोनों ने बराबर सीखी है। पहले जवाब से आपको यह समझ आ गया होगा। लेकिन दिमाग तो जिसके पास जितना होगा, उतना ही उसके काम आता है। राजकुमार में विद्या की नहीं, अक्ल की कमी है। यह छोटी-सी बात भी नहीं समझ पाए कि चक्की के पाट जैसी बड़ी चीज आपकी हथेली में कैसे समा सकती है? किसी को समझ देना कठिन है। इस वजह से मैं यह कहता हूं कि इसने पढ़ा तो ‘खूब, पर समझा कुछ नहीं।’ यानी सीखने के साथ अक्ल का इस्तेमाल भी जरूरी होता है।
शिक्षा — किसी भी चीज का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिए पढ़ने के साथ साथ उसको समझना भी जरूरी है।