शिक्षाप्रद हिन्दी कहानिया। बच्चो की कहानी। Short Moral Story in Hindi. Part 6

Short Moral story in Hindi. शिक्षाप्रद कहानी। बच्चो की कहानी। Part 6

शिक्षाप्रद कहानी – अछूत

गौतम बुद्ध की धर्मसभा चल रही थी। गौतम बुद्ध ध्यानमग्न अवस्था में बैठे चिंतन कर रहे थे। तभी बाहर खड़ा एक व्यक्ति चिल्लाकर बोला- ‘आज मुझे इस सभा में बैठने की अनुमति क्यों नहीं दी गई है?’
शांत सभा में उसके क्रोधित शब्द गुंजायमान हो उठे। लेकिन बुद्ध उसी प्रकार ध्यानमग्न ही रहे। उसने पुनः पहले से तेज आवाज में अपना प्रश्न दोहराया। शिष्यों ने सभा की शांति को बनाए रखने के लिए बुद्ध से उसे अंदर आने की अनुमति देने के लिए कहा। बुद्ध ने कहा, ‘वह अंदर बैठने के योग्य नहीं है। वह अछूत है।’ शिष्य आश्चर्य में पड़ गए और बोले, ‘भगवन! आपके धर्म में तो जाति-पात को कोई स्थान नहीं है। कोई ऊंचा नीचा नहीं है। फिर यह अस्पृश्य या अछूत कैसे हुआ?’
तब बुद्ध ने शिष्यों को समझाया, ‘आज यह क्रोध में है। क्रोध से शांति एवं एकाग्रता भंग होती है। क्रोधी व्यक्ति हिंसा करता है। अगर वह शारीरिक हिंसा से बच भी जाए तो मानसिक हिंसा अवश्य करता है। किसी भी कारण से क्रोध करने वाला मनुष्य अछूत है। उसे कुछ समय तक एकांत में रहकर पश्चाताप करना चाहिए। तभी उसे पता चलेगा कि अहिंसा महान कर्त्तव्य है। परम धर्म है।’
अब शिष्य अच्छी तरह समझ गए थे कि अस्पृश्यता क्या है और अछूत कौन है? अस्पृश्यता को खुद से दूर रखना चाहिए और किसी के प्रति हीन भावना कदापि नहीं रखना चाहिए।

Moral – कभी भी बिना बात गुस्सा नही करना चाहिए। हर बात पर गुस्सा करने से आप पशु के समान हो जाते हो।

शिक्षाप्रद कहानी – तीन प्रकार की बुद्धि

एक संत अपने शिष्यों को समझा रहे थे, ‘बुद्धि तीन प्रकार की होती हैं- कंबल बुद्धि, पत्थर बुद्धि और बांस बुद्धि।’
संत के एक जिज्ञासु शिष्य से रहा नहीं गया और वह पूछ बैठा, ‘गुरुदेव, इन तीन प्रकार की बुद्धियों का अर्थ भी समझाइए।’
संत बोले, ‘ठीक है बेटा, सुनो, कंबल में सुई डालो और फिर निकाल दो। क्या कोई बता सकता है कि कंबल में सुई कहां डाली गई?’
विचार कर सभी शिष्य एक साथ बोले, ‘कोई नहीं बता सकता।’
इस पर संत ने कहा, ‘कुछ बुद्धियां भी इसी प्रकार की होती हैं। बात बुद्धि में डाल दी, लेकिन समाप्त होते ही मैदान साफ पता ही नहीं चलता कि बात बुद्धि में कहां डाली गई?
दूसरी होती है पत्थर बुद्धि । पत्थर में बड़ी कठिनाई से छेद होता है। पर जो छेद हो गया, वह बंद नहीं हो सकता। इसे हम पत्थर बुद्धि कहते हैं। बात बड़ी मुश्किल से समझ में आती है। लेकिन एक बार समझने के बाद व्यक्ति उसे भूल नहीं सकता।
तीसरी होती है बांस बुद्धि। बांस में चाकू डालो आगे से आगे वह स्वयं चिरता चला जाएगा। जरा इशारे से समझा दो, व्यक्ति आगे की बात स्वतः समझता चला जाएगा, तो शिष्यों, बुद्धि तीन प्रकार की होती है। लेकिन बांस बुद्धि ही सर्वश्रेष्ठ बुद्धि कहलाती है।’

तेनालीराम की कहानिया 

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