बच्चो की कहानी- शेर और चालाक लोमड़ी। Child story in Hindi
एक जंगल में शेर और शेरनी रहते थे। एक दिन शेर का मूड खराब था। उस सुबह उसकी पत्नी शेरनी ने उसे बताया था कि उसकी सांसों से बदबू आ रही है। उसे इसके बारे में कुछ करने की जरूरत है।
शेरनी के कहने पर भी शेर ने अपने मुंह की दुर्गंध के लिए कुछ नही किया। इसलिए शेरनी शेर को छोड़ कर चली गई।
शेरनी के चले जाने के बढ़ शेर ने अपने सेवक को अपने तीन मंत्रियों – भेड़, भेड़िया और लोमड़ी को बुलाने के लिए भेजा ।
पहले उसने भेड़ को बुलाया। शेर ने गुर्राकर भेड़ से पूछा, ‘मुझे बताओ, भेड़, ‘क्या तुम्हें लगता है कि मेरी सांसों से बदबू आ रही है?’
भेड़ ने सोचा कि शेर सच जानना चाहता है। भेड़ शेर के सामने झुकी और बोली, ‘महाराज, आपकी सांसों से भयानक बदबू आ रही है। वास्तव में, इससे इतनी दुर्गंध आ रही है कि में दुर्गंध के कारण सास भी नही ले पा रही।’
शेर वास्तव में अपनी बुराई नही सुनना चाहता था। शेर को भेड़ पर गुस्सा आ गया। उसने गुस्से से दहाड़ते हुए और भेड़ को मूर्ख कहकर उस पर छलांग लगा दी और उसे मार डाला।
फिर उसने भेड़िए को बुलाया। शेर ने फिर से गुर्राकर भेड़िए से पूछा, ‘मुझे बताओ, भेड़िए, ‘क्या तुम्हे लगता है कि मेरी सांसों से बदबू आ रही है?’
भेड़िये ने रास्ते में मरी हुई भेड़ को देखा लिया था। भेड़िया भेड़ की तरह मरना नहीं चाहता था। इसलिए उसने शेर की प्रशंसा करने की सोची। वह शेर के सामने झुक गया और कहा, ‘महाराज! आप मुझसे यह कैसे पूछ सकते हैं? आपकी सांसों से वसंत में फूलों की तरह मीठी महक आती है, जैसे ताजी…’
शेर को पता था की उसकी सांसों से दुर्गंध आती है। उसको भेड़िए द्वारा की गई झूठी तारीफ पर गुस्सा आ गया। इससे पहले को भेड़िया अपनी बात को पूरा करता शेर ने गुस्से से दहाड़ कर कहा, ‘झूठा!’ और उसे भी मार डाला।
आखिर में शेर ने लोमड़ी को बुलाया। उसने रास्ते में मरी हुई भेड़ और मरे हुए भेड़िये को देख लिया था।
शेर ने फिर से गुर्राकर लोमड़ी से पूछा, ‘मुझे बताओ, लोमड़ी, ‘क्या तुम्हे लगता है कि मेरी सांस से बदबू आ रही है?’
लोमड़ी को शेर की सासो की बदबू आ रही थी। लोमड़ी ने खांसा और छींका और अपनी नाक और गला साफ करते हुए फुसफुसाते हुए कहा, ‘महाराज, मुझे माफ कर दो। मुझे इतनी तेज़ सर्दी है कि में अभी कुछ सूंघ नहीं सकता!”
शेर ने लोमड़ी से कहा,”चले जाओ यहाँ से, तुम मुझे भी जुकाम कर दोगे।”
ठीक के मेरे राजा,”इतना कह कर लोमड़ी वहाँ से चली गयी। इस तरह चालाकी से लोमड़ी ने अपनी जान बचाई।