Short Moral story in Hindi. शिक्षाप्रद कहानी। बच्चो की कहानी। Part 7

शिक्षाप्रद कहानी – विशाल पेड़।

एक बार संत शिवालिक पर्वत पर अपनी कुटिया में आराम कर रहे थे। तभी उन्हें कुछ दूर पर एक विशाल वृक्ष दिखाई दिया। वह इतना बड़ा था कि दूर- दूर तक केवल उसी पर नजर जाती थी। वृक्ष को देखकर संत के मुंह से सहसा निकला, ‘इतना विशाल भी कोई वृक्ष हो सकता है, जिसकी छांव में राहगीर अपनी थकान मिटाते हैं।’
यह किस प्रजाति का होगा, वह सोचने लगे। फिर वह उसका परीक्षण करने के उद्देश्य से वृक्ष के नजदीक पहुंच गए। उन्होंने स्वयं से कहा, ‘जरूर ही इसकी लकड़ी बहुत अच्छी किस्म की होगी।’
वे पेड़ के चारों ओर घूमे तो उन्होंने देखा कि हर ओर उसकी शाखाएं टेढ़ी-मेढ़ी हैं। उन्होंने सोचा कि इस वृक्ष की शाखाएं तो इतनी ज्यादा मुड़ी हुई हैं कि उनसे एक नाव तक नहीं बनाई जा सकती। पेड़ के तने में इतनी गांठें हैं कि उनसे एक लकड़ी का तख्त तक तैयार नहीं किया जा सकता। फिर उन्होंने पेड़ का एक पत्ता तोड़ा और उसे मुंह में डाला तो उन्होंने उसे तुरंत थूक दिया। पत्ता इतना कड़वा था कि उनके पूरे मुह का स्वाद कोडा हो गया और पत्ते की तेज गंध व तीखेपन ने उनके जीभ और होंठों को छील दिया।
वृक्ष का पूर्ण रूप से परीक्षण करने के बाद वे स्वयं से बोले, ‘अगर, कोई व्यक्ति भूल से इन पत्तों को चख ले तो दो-तीन दिनों तक वह अपनी सुध-बुध ही भूल जाएगा।’
इसके बाद वे वृक्ष से थोड़ा दूर हुए और उसे निहारते हुए बोले, ‘ पेड़ इतना विशाल है ,पर इसकी कोई भी चीज उपयोगी नही ! बुद्धिमानों को इससे सीख लेनी चाहिए। यदि वे किसी के काम न आएं तो बड़े होने का क्या लाभ? व्यक्ति छोटा होने पर भी यदि किसी के काम आता है तो भी उसको सराहा जाता है। यदि बड़ा व्यक्ति किसी के काम न आए तो उसका अस्तित्व व्यर्थ है।’
सीख- ऐसे बड़ा बनना भी व्यर्थ है। कि हम किसी के काम ही नहीं आ सकें।

बच्चो की कहानी: तीन बहनें

एक बहुत बड़ा जादूगर था। उसकी तीन बहने थी। तीनो बहन बहुत ही सुंदर थी। जादूगर अपनी तीनो बहनों के साथ दुनिया की अलग अलग जगह जाता था। एक बार जादूगर तीनो बहनों के साथ ऑस्ट्रेलिया देश घूमने गया था। ऑस्ट्रेलिया का एक प्रसिद्ध योद्धा जादूगर के पास आया और उससे बोला, ‘मैं तुम्हारी सुंदर बहनों में से किसी एक से विवाह करना चाहता हूं।’
जादूगर ने उससे कहा, ‘यदि मैं इनमें से एक का विवाह तुमसे कर दूंगा, तो बाकी दोनों को लगेगा कि वे कुरूप हैं। इसलिए मैं एक ऐसे कबीले की तलाश में हूं, जहां तीन वीर योद्धा हो ताकि उन तीनो वीर योद्धाओं से अपनी तीनों बहनों का एक साथ विवाह कर सकूं।’
इस तरह जादूगर कई साल तक ऑस्ट्रेलिया में यहां से वहां घूमता रहा, पर उन्हें ऐसा कोई कबीला नहीं मिला, जहां एक जैसे तीन बहादुर योद्धाओं से उन बहनों का विवाह हो सकता। वे बहनें इतने साल गुजर जाने और यात्रा की थकान के कारण बूढ़ी हो गईं। उन्होंने सोचा, ‘हम में से कोई एक तो विवाह करके सुख से रह सकती थी।’ जादूगर भी यही सोचता था। वह बोला, ‘मैं गलत था, लेकिन अब बहुत देर हो गई है।’ जादूगर ने उन तीन बहनों को पत्थर का बना दिया।
इससे सबको यह सबक लेना चाहिए कि जो काम जब हो रहा हो, उसे तभी कर लेना चाहिए आगे नहीं टालना चाहिए। आज भी सिडनी के पास ब्लू माउन्टेन नेशनल पार्क जाने वाले पर्यटक पत्थर की उन तीन बहनों को देखकर यह सबक लेते हैं कि एक व्यक्ति की प्रसन्नता के कारण हमें दुखी नहीं होना चाहिए।

तेनालीराम की कहानिया 

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